बहर-ए-हिंद के ममालिक के माबैन मुस्तहकम मआशी ताल्लुक़ात पर ज़ोर

हिंदूस्तान ने बहर-ए-हिंद के इलाके के ममालिक के दरमयान गहरे मआशी ताल्लुक़ात की पुरज़ोर वकालत करते हुए बहरी हदूद की मव‌सर सीक्योरीटी की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। हिंदूस्तान ने मज़ीद इलाक़ाई तआवुन की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि इस इलाके की जुग़राफ़ियाई हिक्मत-ए-अमली की एहमीयत को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

वज़ीर-ए-ख़ारजा सलमान ख़ुरशीद ने बहर-ए-हिंद के 20 ममालिक की तंज़ीम बराए इलाक़ाई तआवुन से ख़िताब करते हुए कहा कि अब चूँकि आलमी मआशी तरक़्क़ी की ध्यान‌ एशीया पर मर्कूज़ होचुकी है। चुनांचे हमारी हिक्मत-ए-अमली की एहमीयत में भी ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है।

मिस्टर ख़ुरशीद ने 5 रोज़ा इलाक़ाई कान्फ़्रैंस के इख़ततामी बैठक‌ से ख़िताब करते हुए कहा कि हम इस तंज़ीम को एक अहम इलाक़ाई इदारा तसव्वुर करते हैं जो इस इलाके के तमाम ममालिक की इन्फ़िरादी-ओ-इजतिमाई सलाहीयतों में मॶसर तौर पर इज़ाफ़ा करसकता है और ज़रूरीयात को पूरा कर सकता है।

इस के अलावा मुशतर्का बहरी इलाक़े को दरपेश असरी चैलेंजों से बख़ूबी निमट सकता है। मिस्टर ख़ुरशीद ने कहा कि बहर-ए-हिंद के 20 ममालिक की ये तंज़ीम रुम एसोसी एष्ण बराए इलाक़ाई तआवुन को इस इलाके की उम्मीदों पर पूरा उतरने की अहल बनाने केलिए उस को मज़ीद मुस्तहकम बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

ये तंज़ीम 1997में क़ायम की गई थी, जिस का बुनियादी मक़सद इस के रुकन ममालिक में मुतवाज़िन तरक़्क़ी के अलावा पायदार तरक़्क़ी के मक़सद को फ़रोग़ देना है। वज़ीर-ए-ख़ारजा ने कहा कि इस तंज़ीम ने अपने क़ियाम के बाद रुकन ममालिक के दरमयान बाहमी तआवुन और सूझबूझ के फ़रोग़ के लिए ग़ैरमामूली मदद की है।

इस के बावजूद अभी उसे कई काम हैं जो हनूज़ किए जाना बाक़ी हैं। उन्होंने कहा कि हमारे नज़रिये में इस तंज़ीम के क़ियाम और कान्फ़्रैंस के इनइक़ाद के अमन का मक़सद यही होना चाहीए कि आने वाले बरसों में इस तंज़ीम के लिए एक नया रोड मैप और एक नया एजंडा तैय्यार किया जाये।

जो यक़ीनन इस इलाक़ाई तंज़ीम को बहर-ए-हिंद की एक कलीदी तंज़ीम की हैसियत दिला सकता है। उन्होंने कहा कि बहर-ए-हिंद का इलाक़ा अपनी आबादी और तरक़्क़ी की सफ़हों के एतबार से वसीअ तर इमकानात का हामी है। मुख़्तलिफ़ ममालिक के माबैन कई चीज़ें मुख़्तलिफ़-ओ-जुदागाना होने के साथ साथ कई चीज़ें मुश्तर्क भी हैं।

चुनांचे इस तंज़ीम के लिए एक ऐसा जामि रोड मयाप तैय्यार करने की ज़रूरत है जिस में तमाम इलाक़ाई मुल्कों की तरक़्क़ी को यक़ीनी बनाया जा सकता है और जो तमाम के लिए काबिल-ए-क़बूल होसकता है। उन्होंने बहर-ए-हिंद के इलाके के माहौल को अमन तरक़्क़ी-ओ-ख़ुशहाली केलिए साज़गार बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और कहा कि ऐसे माहौल में तरक़्क़ी की राह हमवार होगी।