बाबरी मस्जिद की शहादत की बरसी, तारीख़ी अंदाज़ में बाबरी मस्जिद मुआमले पर एक नज़र..

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1527 : बाबरी मस्जिद नाम से एक मस्जिद अयोध्या में बनायी गयी. इस मस्जिद का नाम मुग़ल बादशाह बाबर के नाम पे रखा गया.

1853 : पहली बार मस्जिद की जगह पे फ़साद होने की ख़बर आई

1859: अँगरेज़ सरकार ने हिन्दुवों और मुसलामानों के लिए एक हद बनायी और अंदरूनी हिस्सा मुसलामानों के लिए तो बाहरी हिस्सा हिन्दुवों को दे दिया गया.

1949: भगवान् राम की मूर्ती मस्जिद के अन्दर पायी गयी, माना जाता है कि ये मूर्ती किसी “हिन्दू” ने रख दी जिसके बाद फ़साद के हालात बन गए, मुआमला अदालत में गया तो एरिया हिन्दू-मुसलमान दोनों के लिए बंद कर दिया गया

1984 : विश्व हिन्दू परिषद् नाम की संस्था ने राम जन्म भूमि आन्दोलन चलाना शुरू किया जिसका ये दावा था कि मस्जिद की जगह राम की पैदाइश की जगह है.

1986: एक ज़िला जज ने मस्जिद के दरवाज़े को खोलने का आदेश दिया, और हिन्दुवों को मस्जिद के अन्दर पूजा करने की छूट दी. आदेश के आधे घंटे के अन्दर ही दरवाज़े खोल दिए गए. जवाबी तौर पे मुसलामानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन समिति बनायी.

1989: विश्व हिन्दू परिषद्(विहिप) ने मस्जिद की जगह पे मंदिर बनाने के लिए, मस्जिद की जगह के बग़ल में “संग ए बुनियाद”रखा.

1990: विहिप के कार्यकर्ताओं ने मस्जिद को नुक़सान पहुंचाने की कोशिश की , तब के वज़ीर ए आज़म चन्द्रशेखर ने मुआमले को बातचीत से सुलझाने की कोशिश की, जो नाकामयाब हो गयी.

1991 : बीजेपी उत्तर प्रदेश में हुकूमत बनाने में कामयाब हो गयी,मालूम हो अयोध्या उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद जिले में है, मरकज़ में कांग्रेस की हुकूमत.

6 दिसम्बर, 1992: लाखों बुनियाद परस्त, जो विहिप, शिव सेना और बीजेपी के हिमायती थे, ने सुप्रीम कोर्ट के आर्डर को सिरे से नज़र अंदाज़ करते हुए, मस्जिद को शहीद कर दिया. बाबरी मस्जिद शहीद होने के बाद पूरे हिन्दुस्तान में फ़सादात हुए और 2000 से ज़्यादा अफ़राद हलाक़ हो गए. बाबरी मस्जिद उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक थी.

1998 : बीजेपी मरकज़ में हुकूमत में आई, वज़ीर ए आज़म अटल बिहारी बाजपाई

2002 : बाजपाई ने मुआमले को अमन से सुलझाने की कोशिश की, बीजेपी ने मंदिर बनाने के लिए किसी तरह का साथ देने से इनकार कर दिया, विहिप ने मंदिर बनाने की डेडलाइन 15 मार्च रखी, गोधरा में ट्रेन हादसा 58 अफ़राद हलाक़ मरने वाले अयोध्या से आने वाले कारसेवक, फिरकापरस्त ताक़तों ने इसे मुसलामानों की साज़िश बताया, इसके बाद गुजरात में दंगे, 2000 से ज़्यादा लोग हलाक़, मरने वाले ज़्यादातर मुसलमान.

सितम्बर 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एरिया को तीन हिस्सों में बांटने का हुक्म दिया, वो एरिया जहां मस्जिद थी, वो हिन्दुवों को दे दिया गया..

मई 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले को कैंसिल किया, कहा फ़ैसले की बुनियाद जायज़ नहीं.