यू पी के उनाव हल्क़ा-ए-इंतख़ाब के रुकन पार्लियामेंट साक्षी महाराज को ख़ुसूसी सी बी आई अदालत ने मफ़रूर मुजरिम क़रार दिया जबकि वो मुक़द्दमा की समाअत के लिए हाज़िर होने से क़ासिर रहे। साक्षी महाराज की मुक़द्दमा की समाअत में मुसलसल गैरहाज़िरी की वजह से ये इक़दाम किया गया। उन्हें बाबरी मस्जिद के शहादत के मुक़द्दमा का सामना है। अदालत ने आइन्दा पेशी 26 जुलाई को मुक़र्रर की है।
साक्षी महाराज के वुकला ने पीर के दिन अदालत में कहा था कि वो हफ़्ता के दिन अदालत के इजलास पर हाज़िर रहेंगे, क्योंकि वो नई दिल्ली में पार्लियामेंट के बजट इजलास के सिलसिले में मसरूफ़ हैं। उनके मुशीर क़ानून ने स्पैशल जज शशी तेवारी से कहा कि वो अपने से टेलीफ़ोन पर बातचीत करचुके हैं और उन्होंने हफ़्ता के दिन अदालत के इजलास में हाज़िर रहने का तीक़न दिया है, ताहम ख़ुसूसी जज ने उन की वज़ाहत पर तवज्जो देने से इनकार कर दिया और साक्षी महाराज का गिरफ़्तारी वारंट जारी कर दिया गया।
उन्हें साबिक़ चीफ़ मिनिस्टर यूपी कल्याण सिंह का क़रीबी बाएतिमाद साथी समझा जाता है। साक्षी महाराज और दीगर बी जे पी क़ाइदीन के नाम अयोध्या में 2 दिसंबर 1992 को दर्ज करदा एफ़ आई आर में शामिल हैं। दीगर 49 अफ़राद को मस्जिद की शहादत का मुल्ज़िम क़रार दिया गया है। मुक़द्दमा के शुरू मरहले में 13 मुल्ज़िमों को बरी कर दिया गया है। सी बी आई ने सुप्रीम कोर्ट में इस बात के ख़िलाफ़ दरख़ास्त पेश की है और मुक़द्दमा ज़ेर-ए-इलतिवा है।