लखनऊ, १९ दिसंबर (पी टी आई) मुस्लमानों को तहफ़्फुज़ात देने की हिमायत करते हुए चीफ़ मिनिस्टर उत्तरप्रदेश मायावती ने कहा कि दस्तूरी तरमीम के ज़रीया ओ बी सी के 27 फ़ीसद कोटा में इज़ाफ़ा किया जाये, ताकि इस में पसमांदा मुस्लमानों को भी शामिल किया जा सके। यहां एक जल्सा-ए-आम से ख़िताब करते हुए मायावती ने कहा कि बी एस पी हुकूमत मुस्लमानों के लिए कोटा की हामी है। मर्कज़ को दस्तूर में तरमीम करना चाहीए और ओ बी सी के 27 फ़ीसद कोटा को बढ़ा दिया जाये, ताकि इस में मुस्लमान भी शामिल हों। इन की पार्टी मुस्लमानों को तहफ़्फुज़ात फ़राहम कर रही है। क़ौमी पालिसी भी इसी निज़ाम के तहत वज़ा की जानी चाहिये, ताकि मुल्क भर में इस पर अमल हो।
उन्हों ने कांग्रेस पर इल्ज़ाम आइद किया कि इस ने हमेशा मुस्लमानों को धोका दिया ही। मुस्लमानों को सिर्फ वोट बैंक समझा, मगर उन की बहबूद के लिए कुछ भी नहीं किया। कांग्रेस के दौर में सब से ज़्यादा फ़सादाद हुए हैं, इस से मुस्लमानों के ज़हनों में गहिरा असर पड़ा। ये तबक़ा रियासत में कांग्रेस की 40 साला हुक्मरानी के दौरान ख़ौफ़ के साय में जी रहा था। चीफ़ मिनिस्टर उत्तरप्रदेश ने दावा किया कि बी जे पी के साथ कांग्रेस के नरम रवैय्या के बाइस ही आर एस एस, वि एच पी और बजरंग दल जैसी तंज़ीमों के हौसले बुलंद हुए हैं, जिस के नतीजे में 6 दिसंबर 1992-ए-को एवधया में बाबरी मस्जिद का सानिहा पेश आया। बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद मुस्लमान अदम तहफ़्फ़ुज़ का शिकार हो गई। उन्हों ने ये भी दावा किया कि बहुजन समाज पार्टी ने लोक सभा और असैंबली इंतिख़ाबात में मुस्लमानों को ज़्यादा से ज़्यादा टिक्टस दिए हैं, जब कि दीगर पार्टीयों ने दानिस्ता तौर पर मुस्लमानों को नजरअंदाज़ किया। समाजवादी पार्टी के सदर मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या वाक़िया के दौरान जो ब्यान दिया था, इस से कशीदगी और फ़सादाद फूट पड़ी। मायावती ने कहा कि इन की हुकूमत में रियासत के अंदर ला ऐंड आर्डर की बरक़रारी अव्वलीन तर्जीह रही है, इसी लिए बाबरी मस्जिद राम जन्म भूमि मिल्कियत मुक़द्दमा में अदालत के फ़ैसला के बाद कोई नाख़ुशगवार वाक़िया पेश नहीं आया। दहश्तगरदों के साथ मुस्लमानों को जोड़ने की मुज़म्मत करते हुए मायावती ने कहा कि दहश्तगरदों का कोई मज़हब नहीं होता और उन्हें किसी ख़ास तबक़ा से जोड़ना ग़लत है। बढ़ती दहश्तगर्दी का पता चलाना वक़्त का तक़ाज़ा है। मर्कज़ की ज़िम्मेदारी है कि वो दहश्तगर्द सरगर्मीयों को ख़तन करने के लिए इनटेलीजेन्स को चौकस कर दी।
मायावती ने मर्कज़ पर ये भी इल्ज़ाम आइद किया कि मुस्लमानों की बहबूद के लिए मुख़्तलिफ़ उनवानात पर फंड्स जारी करने का ऐलान किया जाता है, लेकिन हक़ीक़त में ये फंड्स उन तक नहीं पहुंचता। उन्हों ने राहुल गांधी की तन्क़ीदों का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस का ज़हनी तवाज़ुन बिगड़ गया है। कांग्रेस को रियासत यू पी में हाथी को पैसा खाते हुए देख कर ज़हनी कोफ़त हो रही है, इस लिए ऐसा मालूम होता है कि कांग्रेस का ज़हनी तवाज़ुन बिगड़ गया ही। लखनऊ में मुस्लमानों, क्षत्रीय और वेश्या तबक़ात के जलसा से ख़िताब करते हुए सदर बी एस पी ने अपनी पार्टी के इंतिख़ाबी निशान हाथी का हवाला दिया, जिस के बारे में राहुल गांधी ने रिमार्क किया था।