बिहार इंतिखाबात अपने बूते पर लड़ेंगे : मांझी

बिहार के साबिक़ वजीरे आला जीतन राम मांझी का कहना है कि बिहार में आने वाले एसेम्बली इंतिख़ाब में वो किसी के साथ इत्तीहाद नहीं करेंगे। मांझी को लगता है कि अब वो दलितों के एक बड़े लीडर के तौर में कायम हो चुके हैं। उनका कहना है कि एसेम्बली इंतिख़ाब वो अपने बूते पर लड़ेंगे। दिल्ली दौरे पर आए जीतन राम मांझी ने बीबीसी से हुई एक ख़ास बातचीत में दावा किया था कि अपने छोटे से मुद्दत में उन्होंने मुफाद आमा के कई काम किए।

मंगल को वजीरे आजम नरेंद्र मोदी से हुई मांझी की मुलाक़ात के बाद कयासों का दौर शुरू हो गया है। सियासी हलकों में मोदी और मांझी की इस मुलाक़ात को अलग-अलग नज़रिए से देखा जा रहा है। क़यास ये भी लगाए जा रहे हैं कि इस मुलाक़ात के बहाने बिहार में सियासी हिकमत अमली बनाई जा रही है। वहीं कुछ तजजिया इसे भाजपा और मांझी के दरमियान मुमकिना तालमेल के इशारा के तौर में देख रहे हैं। लेकिन जीतन राम मांझी का कहना था, “इत्तीहाद की बात हम वजीरे आजम से क्यों करेंगे? लोग तो आपस में इत्तीहाद कर ही रहे हैं। हम कोई इत्तिहाद क्यों करेंगे?”

मांझी कहते हैं, “हमने इतना अच्छा काम किया है बिहार के लोगों के लिए। हम जहां जाते हैं लोग हमें अकेले में कहते हैं, ‘इंतिख़ाब अकेले लड़िए आप।’ किसी के साथ कोई इत्तीहाद मत करिए। तो हम अवाम कि बात मानेंगे या किसी और की बात मानेंगे? इसीलिए हमने फैसला लिया है कि इंतिख़ाब अकेले लड़ेंगे.” कुछ दिन पहले ही मांझी ने भाजपा पर धोखा देने का इल्ज़ाम लगाया था।

लेकिन बातचीत के दौरान भाजपा के फी उनके तेवर नरम ज़रूर दिखाई दिए जब उन्होंने कहा, “अकेले लड़ेंगे और अकेले लड़कर जीतेंगे भी। उस वक़्त अगर कुछ कमी-बेशी होगी, अगर हिमायत लेने या देने की ज़रुरत आ पड़ी तो तब देखा जाएगा। उसमें भाजपा भी शामिल है। भाजपा से भी हमें परहेज़ नहीं है। सिर्फ़ नीतीश कुमार से हमें परहेज़ है। ”

मांझी को लगता है कि दलित लीडर के तौर में खुद को कायम करना मुश्किल काम है क्योंकि एसटी एससी के लीडरों की सियासत में भी नज़र अंदाज़ होती रही है। उनका कहना है कि इस नज़र अंदाज़ की वजह से दलितों लीडरों को हमेशा से चैलेंज का सामना करना पड़ता रहा है। उनका कहना था, “हम मानते हैं कि पसमानदा तबके में भी दलित हैं। हम अक़लियतों में दलितों के बारे में भी सोचते हैं। इसलिए दलित तो मेरे साथ हैं ही, मुझे अगड़ी जातियों और समाज के हर तबके के ग़रीबों का हिमायत मिल रहा है। ”

बाशुक्रिया : बीबीसी हिन्दी