बिहार के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की 85% सीटें खाली

पटना : खराब रिजल्ट, कंपार्टमेंट परीक्षा के नतीजों में विलंब और दूसरी अनियमितताओं का खामियाजा आखिरकार इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने को इच्छुक छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. राज्य के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की 85% से अधिक सीटें खाली हैं.

ऐसे-ऐसे कॉलेज हैं, जिनमें किसी में तीन, तो किसी में पांच छात्र ही एडमिशन ले पाये हैं. छात्र एडमिशन के लिए भटक रहे हैं, मगर सरकारी नियमों से लाचार कॉलेज प्रबंधन छात्रों को वापस करने पर मजबूर हैं. ऐसे में न चाहते हुए भी छात्रों को दूसरे राज्यों में एडमिशन लेने पर विवश होना पड़ रहा है.

औरंगाबाद के मृत्युंजय कुमार अपने बेटे का नामांकन राज्य के ही किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में करवाना चाहते थे. वे कहते हैं, दूसरे राज्यों के इंजीनियरिंग कॉलेजों से लगातार बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें आती हैं. इसलिए हमने मन बनाया था कि अपने इलाके में ही बच्चों को पढ़ायेंगे.

औरंगाबाद के सितयोग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में गया, तो बताया गया कि अपने राज्य में प्रवेश परीक्षा के बाद एडमिशन लेने की इजाजत नहीं है. यह जानकर मैं हैरत में पड़ गया. क्योंकि दूसरे कई राज्यों में ऐसा नियम है कि मार्क्स के आधार पर कॉलेज एडमिशन ले सकते हैं. इसी तरह से पूर्णिया के अमित कुमार भी विद्याविहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से वापस किये जा चुके हैं.

इस बारे में पूछने पर विद्याविहार इंस्टीट्यूट ऑप टेक्नोलॉजी के सचिव राजेश चंद्र मिश्रा कहते हैं, पिछले साल से ही यह परेशानी हो रही है, जब से प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही एडमिशन लेने की बाध्यता का नियम बना. जबकि झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में प्लस टू के अंकों के आधार पर नामांकन लेने की अनुमति है. अब ये छात्र निश्चित तौर पर बाहर के राज्यों में जायेंगे. हमारे कॉलेज की सीटें खाली रह जायेंगी. राज्य की प्रतिभा और राज्य का पैसा मुफ्त में ही बाहर जायेगा.

वहीं, सितयोग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सचिव राजेश कुमार कहते हैं, मैं मुख्यमंत्री के आह्वान पर आॅस्ट्रेलिया से यहां कॉलेज खोलने आया था. मगर यहां अभी तक काम करने लायक माहौल नहीं बन पाया है.

राज्य सरकार ने मार्क्स के आधार पर एडमिशन लेने के संबंध में नियमावली भी तैयार की है, उसे 24 जुलाई को एआइसीटी से अनापत्ति भी मिल गयी है. मगर उसे लागू नहीं किया गया है. जबकि 15 अगस्त एडमिशन लेने की आखिरी तारीख है. अगर उस नियमावली को समय से लागू कर दिया जाये और इस साल की विपरीत स्थितियों को देखते हुए एडमिशन लेने की समयसीमा 15 अगस्त में छूट दी जाये, तो हमें भी सुविधा होगी और छात्रों को भी. क्योंकि अभी तक इंटरमीडिएट की कंपार्टमेंटल परीक्षा का रिजल्ट भी नहीं आया है.

इस मामले में जब विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि अगर कॉलेज की सीटें खाली रह गयी हैं, तो यह हमारा कंसर्न नहीं है. हां, मार्क्स के आधार पर एडमिशन के लिए एक नियमावली है मगर उसकी जानकारी हम फोन पर नहीं दे सकते. बिहार प्राइवेट टेक्निकल व प्रोफेशनल के सचिव विजय कुमार ने कहा कि इस विषम परिस्थिति में एक दूसरी परीक्षा आयोजित करने की मंजूरी नामांकन पर्यवेक्षण समिति से अपेक्षित थी, लेकिन अगस्त के पहले हफ्ते में इसके लिए मना कर दिया गया.

इस बीच खाली रह गयी सीटों को भरने के लिए आवश्यक नियमावली, जिसमें पात्रता परीक्षा के अंक के आधार पर नामांकन की मंजूरी की बात है, उसे सात जुलाई को एआइसीटीइ को भेजी गयी है. 24 जुलाई को ही एआइसीटीइ ने उस पर अनापत्ति दे दी, लेकिन अस्थिर राजनीतिक माहौल के कारण उसको कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिल पायी है.

उन्होंने कहा कि बिहार से पहले झारखंड, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और पंजाब पात्रता परीक्षा (प्लस टू) के अंक के आधार पर नामांकन को मंजूरी दे चुके हैं. अब वहां के कॉलेज बिहार में बड़े-बड़े विज्ञापन देकर स्पॉट काउंसेलिंग कर छात्रों को ले जा रहे हैं, वहीं बिहार के कॉलेजों के लिए हाथ-पर-हाथ धरे बैठे रहने के अलावा कोई उपाय नहीं है.

किस कॉलेज में कितनी सीटें खाली

संस्थान कुल सीटें कुल एडमिशन

1. आरपीएस इंस्टीट्यूट ऑप टेक्नोलॉजी, दानापुर 480 49
2. बुद्धा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, गया 300 12
3. मिल्लिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पूर्णिया 420 18
4. मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, पटना 360 180
5. विद्या विहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पूर्णिया 240 40
6. पटना साहिब कॉलेज ऑफ इंजी. एंड टेक्नो., वैशाली 420 110
7. सितयोग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, औरंगाबाद 540 56
8. अजमेट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, किशनगंज 300 54
9. केके कॉलेज ऑफ इंजी. एंड मैनेज., नालंदा 420 50
10. नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बिहटा 600 160
11. सीवान इंजी. एंड टेक्नी. इंस्टीट्यूट, सीवान 300 23
12. मिल्लिया किशनगंज कॉ. ऑफ इंजी एंड टेक. 300 9
13. विद्यादान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नीकल मैने., बक्सर 240 2
14. अद्वैत मिशन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बांका 300 70
15. मोती बाबू इंस्टीट्यूटऑफ टेक्नोलॉजी, फॉरबिसगंज 300 8
कुल 5520 840

किस कॉलेज में कितनी सीटें खाली

संस्थान सीटें एडमिशन

1. आरपीएस इंस्टीट्यूट ऑप टेक्नोलॉजी, दानापुर 480 49
2. बुद्धा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, गया 300 12
3. मिल्लिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पूर्णिया 420 18
4. मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, पटना 360 180
5. विद्या विहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पूर्णिया 240 40
6. पटना साहिब कॉलेज ऑफ इंजी. एंड टेक्नो., वैशाली 420 110
7. सितयोग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, औरंगाबाद 540 56
8. अजमेट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, किशनगंज 300 54
9. केके कॉलेज ऑफ इंजी. एंड मैनेज., नालंदा 420 50
10. नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बिहटा 600 160
11. सीवान इंजी. एंड टेक्नी. इंस्टीट्यूट, सीवान 300 23
12. मिल्लिया किशनगंज कॉ. ऑफ इंजी एंड टेक. 300 09
13. विद्यादान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नीकल मैने., बक्सर 240 02
14. अद्वैत मिशन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बांका 300 70
15. मोती बाबू इंस्टीट्यूटऑफ टेक्नोलॉजी, फॉरबिसगंज 300 08

कुल 5520 840

एआइसीटीइ ने उन तकनीकी कॉलेजों को बंद करने का निर्णय किया है, जिनमें पिछले पांच साल में 30 प्रतिशत से कम दाखिले हुए हैं. देश में विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में 27 लाख से ज्यादा सीटों रह गयी हैं.

एआइसीटीइ के अध्यक्ष अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि ऐसे कॉलेजों को अगले साल से बंद कर दिया जायेगा. देश में 10,361 इंजीनियरिंग संस्थान हैं जिनको एआइसीटीइ ने मंजूरी दी हुई है. उनकी कुल क्षमता 37 लाख छात्रों से ज्यादा की है, इनमें से 27 लाख सीटें खाली पडी हैं. सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि देश में नौकरियों की संख्या कम हो रही है और उन्हें पूरे करना करने के लिए राष्ट्रीय छात्र स्टार्टअप नीति तैयार की गयी है.