मुंबई : भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने विभिन्न राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों को लेकर कहा कि लोग ‘‘बदलाव’’ के पक्ष में हैं वहां ‘‘नाकाम’’ वादों और नोटबंदी का प्रभाव पांच राज्यों के चुनावी नतीजों पर होगा| पार्टी के अपनी सहयोगी भाजपा के साथ तनावपूर्ण संबंध रहे हैं| शिवसेना मुंबई में अकेले दम पर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ रही है|
पार्टी ने कहा कि देश की राजनीति में बदलाव की शुरूआत इन विधानसभा चुनावों के नतीजे होंगे| अपने मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि 2014 के लोकसभा चुनाव और आज के माहौल में काफी अंतर है| मतदाताओं के मोहभंग को इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे नोटबंदी और नाकाम वादों को लेकर परिलक्षित करेंगे| नाकाम वादों से लोगों के सपने टूटे हैं और इससे नतीजे प्रभावित होंगे|
शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी को पिछले दिनों मुगलों की तरह काम करने वाला बता दिया था| शिवसेना ने कहा था कि बीजेपी अपनी हिंदुत्व के एजेंडे को भूल गई है| पार्टी ने कहा कि वो लोग राज्य में भगवानों को रखने पर बैन लगा रहे हैं जो हिंदुत्व और राम मंदिर का जिक्र करके, गंगा का पानी बेच-बेचकर आगे बढ़े हैं |
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने एक सर्कुलर जारी किया था| सरकारी दफ्तरों और स्कूलों में भगवान की तस्वीरें नहीं लगा सकते ऐसा उसमें लिखा था | लेकिन इस सर्कुलर को शुक्रवार को शिव सेना के मंत्रियों द्वारा विरोध किये जाने के बाद वापस ले लिया गया था | लेख में छत्रपति शिवाजी का जिक्र करते हुए आगे लिखा गया, ‘छत्रपति ने कभी धर्म के साथ राजनीति नहीं की। उन्होंने हिंदु भगवानों को मुगलों से बचाने के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन आज की सरकार मुगलों की तरह बर्ताव कर रही है।’
शिवसेना ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों का ड्रेस रिहर्सल के रूप में पांच राज्यों के चुनावों को देखा जा रहा है| देश की राजनीति में बदलाव की शुरूआत पंजाब और गोवा के चुनावों से होगी| पार्टी ने कहा कि लोग एक बार फिर बदलाव चाह रहे हैं| पांच राज्यों के चुनाव इस बदलते समय पर मुहर लगाएंगे पिछले साल बिहार के चुनाव ने इस बदलाव को दिशा दिखायी थी |