बिहार में लड़की की पैदाइश पर शजरकारी अदीमुल्मिसाल

भागलपुर (बिहार) ०१ फरवरी (पी टी आई) रियासत बिहार के एक मौज़ा में एक अनोखी मुहिम शुरू की गई थी, जिस के ज़रीया जब जब किसी के ख़ानदान में कोई लड़की तव्वुलुद हुई तो यादगार के तौर पर एक पौधा बोया जाता था और इसी थीम को लेकर यौम जमहूरीया की परेड के दौरान पेश की जाने वाली झांकियों में से एक झांकी ये भी थी।

इस मुहिम के मुसबत असरात मुरत्तिब हुए, जिस ने सब को हैरतज़दा कर दिया है क्योंकि इस से ना सिर्फ माहौलियात में बेहतरी पैदा हुई है बल्कि लड़की की पैदाइश को अब मनहूस ना समझते हुए लड़की का मुस्तक़बिल बेहतर बनाया जा रहा है। देहातों और मवाज़आत में लड़की पैदा करनेवाली ख़वातीन को अच्छी नज़र से देखा नहीं जाता था और लड़कीयों की पैदाइश पर ख़ुशीयां भी कम मनाई जाती थीं, लेकिन अब ढरहारा मौज़ा में सब कुछ बदल चुका है जो भागलपुर से सिर्फ 40 किलो मीटर के फ़ासले पर है।

इस स्कीम या मुहिम ने वज़ीर-ए-आला नतीश कुमार को भी बेहद मुतास्सिर किया है, जिस से ख़ुश होकर उन्हों ने पहली किलकारी योजना नाम से गुज़शता साल यौम माहौलियात पर इस का आग़ाज़ किया था। मुहिम के अहम हिस्सा के तहत जब जब किसी ख़ानदान में कोई लड़की तव्वुलुद हुई तो इस ख़ानदान के अफ़राद एक ऐसा पौदा जूते जो आगे चल कर एक फुलदार तवाना दरख़्त बन जाय।

फुलदार दरख़्तों को लज़ूम इस लिए किया गया हैकि दरख़्तों में फल लगने के बाद उस की फ़रोख़त से हासिल होने वाली रक़म लड़की के नाम पर बैंक में जमा की जाती है। बादअज़ां यही रक़म बैंक में दोगुनी और तीन ग़नी होजाती है जो लड़की की शादी में इस्तेमाल की जाती है। दरीं असना बी जे पी तर्जुमान और भागलपूर एम पी शाहनवाज़ हुसैन ने पी टी आई से बातचीत करते हुए कहा कि मज़कूरा मुहिम नोमोलूद लड़कीयों के लिए एक नेअमत साबित हुई है जहां जाहिल वालदैन को भी अक़ल आ गई है और वो अब बच्चा और बच्ची दोनों के पैदा होने पर यकसाँ ख़ुशीयां मनाते हैं और बच्ची की पैदाइश पर पौदा लगाने की फ़िक्र ज़रूर लाहक़ होती है लेकिन ये कोई इतना मुश्किल काम नहीं है।