बिहार: संस्कृत विश्वविद्यालय की उपशास्त्री परीक्षा में दर्जनों मुस्लिम छात्र दे रहे हैं परीक्षा

प्रदेश में चल रही संस्कृत विश्वविद्यालय की उपशास्त्री परीक्षा में दर्जनों मुस्लिम और आदिवासी समुदाय के छात्राएं भी शामिल हुए। प्रदेश के एकमात्र संस्कृत यूनिवर्सिटी कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित होने वाली उपशास्त्रीय परीक्षा को इंटर के बराबर मान्यता मिली है।

यह परीक्षा संस्कृत विषय से दी जाती है। वैदिक कर्मकांड, पूजा-पाठ, धार्मिक संस्कार आदि में रूचि रखने वाले ही यहां आते हैं। लेकिन वर्ष 2018 में आयोजित उपशास्त्री की इस परीक्षा में शहर के श्री उग्रतारा भारती मंडन संस्कृत महाविद्यालय केन्द्र पर जहां मुस्लिम समुदाय के आधे दर्जन से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल हैं, वहीं आदिवासी मूल के आधे दर्जन से अधिक छात्र-छात्राएं संस्कृत की उप शास्त्रीय परीक्षा दे रहे हैं।

जिले के उग्रतारा भारती मंडन संस्कृत महाविद्यालय महिषी में परीक्षा दे रहे 158 में से 15 छात्र छात्राएं मुस्लिम और आदिवासी समुदाय से आते हैं।

सबीना खातून ने बताया, उनके पिता मुख्तार अंसारी ने कभी भी उन्हें पढ़ने के लिए नहीं रोका। पड़ोसी के बच्चों को संस्कृत श्लोक पढ़ते देख संस्कृत के प्रति रुझान बढ़ा। जिसके बाद उसने मध्यमा की पहली परीक्षा दी थी। अब उपशास्त्री की परीक्षा दे रही है।

सानिया प्रवीण कहती हैं कि वह शरीफ नगर अररिया से आई है। उनके पिता भी उन्हें पढ़ाई के प्रति काफी प्रोत्साहित करते थे। जिसके कारण संस्कृत में रूझान बढ़ा।

उग्रतारा भारती मंडन संस्कृत महाविद्यालय महिषी के केंद्राधीक्षक प्रो शक्ति नाथ झा कहते हैं कि संस्कृत विषय के प्रति अन्य जाति और धर्म के लोगों का रुझान पहले कम हुआ करता था।

कम छात्र ही नामांकन कराते थे। आज 10% छात्र छात्राएं मुस्लिम और आदिवासी समुदाय से परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। यह काफी सुखद है।