गुवाहाटी: बीजेपी लीडर सुब्रमण्यन स्वामी ने एक बार फिर बेतूका बयान दिया है। स्वामी के मुताबिक मस्जिद कोई मज़हबी मुकाम नहीं है, इसलिए उसे कभी भी तोडा जा सकता है। स्वामी ने कहा कि मस्जिद मज़हबी मुकाम नहीं होते बल्कि यह एक आम तौर पर इमारत ( बिल्डिंग) होती है जिसे कभी भी तोडा जा सकता है।
स्वामी के इस बयान का असम में जबरदस्त एहतिजाज हुआ है और उनके खिलाफ मामला भी दर्ज करवाया गया है। स्वामी ने अपने बयान के ताईद में मंतक ( logic) देते हुए सऊदी अरब की एक मीसाल पेश की, जहां सडकें बनाने के लिए मस्जिदों को जमींदोज कर दिया गया।
उन्होंने कहा, अगर कोई मेरे राय से असहमत है तो मैं इस मुद्दे पर उसके साथ बहस करने को तैयार हूं। मुझे यह मालूमात सऊदी अरब के लोगों से मिली। स्वामी ने यह भी दावा किया कि सभी हिंदुस्तानी मुसलमान पहले हिंदू थे। इस बयान का एहतिजाज करते हुए रियासत की कई तंज़ीमों ने बीजेपी लीडर के पुतले जलाए।
असम वक्फ बोर्ड, ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन और दिगर मुस्लिम तंज़ीमों ने स्वामी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वहीं, कृषक मुक्ति संग्राम समिति नाम की एक तंज़ीम ने स्वामी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवा दी। तंज़ीम के सदर अखिल गोगोई ने कहा कि, विधानसभा इंतेखाबात से पहले बीजेपी रियासत में फिर्कावाराना जज़्बात को भ़डकाना चाहती है।
मुसलमानों के खिलाफ स्वामी का मुतनाज़ा बयान इसी साजिश का हिस्सा है। हम इसकी मुज़म्मत करते हैं और असम की हुकूमत से मांग करते हैं कि रियासत में स्वामी के दाखिले पर पाबंदी लगाया जाए। असम के वज़ीर ए आला तरूण गोगोई ने भी सुब्रमण्यन स्वामी और बीजेपी की तन्कीद करते हुए कहा, बीजेपी को असम के शहरियों के जज़्बातो को चोट पहुंचाने की कीमत चुकानी होगी।
इधर, बयान के खिलाफ लोगों का गुस्सा भांप कर बीजेपी की रियासती युनिट ने स्वामी के इस बयान से किनारा कर लिया है।