बीमारी का कहर, बिहार में अबतक गयी 105 बच्चों की जान

बच्चों के लिए वबाल साबित हो रहा एइएस अब जुनूबी बिहार के कुछ और जिलों में फैलने लगा है। अब तक इसका वबाल सिर्फ मुजफ्फरपुर, मगरीबी चंपारण, सीतामढ़ी और शिवहर जिले तक था. लेकिन, इस बार वैशाली और समस्तीपुर जिले भी इसकी जद में आ गये हैं। समस्तीपुर में एइएस से इतवार को दो बच्चे की मौत हो गयी। गुजिशता 15 दिनों में एइएस से मुजफ्फरपुर में 89 बच्चों की मौत हो चुकी हैं।

इधर, मुजफ्फरपुर में इतवार को इलाज के दौरान नौ बच्चों ने दम तोड़ दिया। 64 बच्चे अस्पतालों में भरती हैं। भरती होनेवाले बच्चों की तादाद भी मुसलसल बढ़ती जा रही है। बीमारी की शुरुआत मई के दरमियान में हुई थी। दो जून तक चार बच्चे इससे मुतासीर हुए थे। लेकिन, तीन जून के बाद बीमार होनेवाले बच्चों की तादाद 8-10 तक पहुंच गयी। गुजिशता दो दिनों से बीमारी और तेज हो गयी है।

रोज 22 से 24 बच्चे अस्पतालों में भरती हो रहे हैं। मुतासीरों की बढ़ती तादाद देखते हुए एसकेएमसीएच में एक और आइसीयू शुरू किया गया। इस तरह वहां चार आइसीयू में बच्चों का इलाज हो रहा है। अस्पतालों में भरती कई बच्चों की हालत संगीन बनी हुई है। मरकज़ी सारफीन मामले, खाने और अवामी तक़सीम वज़ीर रामविलास पासवान ने बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी से बच्चों की मौत पर फिक्र जताते हुए कहा कि वैशाली के एमपी रामा किशोर सिंह की कियादत में कल लोजपा का एक वफद हालात का जायजा लेने मुजफ्फरपुर गया था और इस ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

उन्होंने कहा कि बिहार में एईएस बीमारी से मौत को लेकर गुजिशता हफ्ताह सेहत वज़ीर से बात की थी और वे कल सुबह खुद हालात का जायजा लेने मुजफ्फरपुर जाएंगे। फुलवारीशरीफ की अपनी सफर के दौरान रामविलास ने इमारत-ए-शरिया के हेड क्वार्टर में जाकर वो मुस्लिम तंजीम के जेनरल सेक्रेटरी अनिसुर्रहमान कासमी से मुलाकात की।