बी जे पी में आला सतही इंतिशार (तितर बितर) ने आज एक नया रुख इख़तियार कर लिया जबकि पार्टी के तर्जुमान ने क़ाइदीन बिशमोल चीफ़ मिनिस्टर गुजरात नरेंद्र मोदी और बी एस येदि यूरप्पा पर दरपर्दा तन्क़ीद करते हुए उन से ख़ाहिश की कि वो अपनी अना और अपने वजूद से बालातर होकर मसाएल ( समस्या) के बारे में ग़ौर व फ़िक्र करें।
दिलचस्प बात ये है कि नरेंद्र मोदी जिन का नाम कमल संदेश के ईदारिया ( संपादकीय) में नहीं लिया गया ताहम वही इस ईदारिया का असल निशाना हैं। उन्होंने पार्टी के सरपरस्त अटल बिहारी वाजपाई और दूसरे कुहनामुशक ( अनुभवी) क़ाइद एल के अडवानी से मुलाक़ात की।
अडवानी ने कल क़रीब क़रीब वाज़िह तौर पर सदर पार्टी नितिन गडकरी पर तन्क़ीद करते हुए इज़हार-ए-अफ़सोस किया था कि बी जे पी की मुख़ालिफ़ करप्शन मुहिम ( योजना) बाअज़ ( बाज) कार्यवाईयों से जो गडकरी ने की हैं, मुतास्सिर (प्रभावित) हो चुकी है। उसे अडवानी का गडकरी और मोदी के ख़िलाफ़ इज़हार-ए-नाराज़गी समझा जा रहा है ।
जो गुज़शता हफ़्ता की क़ौमी आमिला के इजलास के मौक़ा पर बहुत क़रीब आ गए हैं। कमल संदेश के अडीटर प्रभात झा ने अपने ईदारिया में कहा कि अटल जी, अडवानी जी, डाक्टर जोशी हिंदूस्तानी सियासत के उफ़ुक़ (क्षितिज) पर जगमगाने वाले सितारे हैं, जो तवील अर्सा तक जगमगाते रहे क्योंकि उन्होंने हमेशा तंज़ीम ( संस्था) को अपने से बरतर (ऊँचा) समझा।
उन्होंने बी जे पी के दायरा में रहते हुए हालाँकि इन का मुक़ाम बहुत बुलंद था, काम किया, लेकिन उन्होंने कभी ख़ुद को पार्टी से ज़्यादा बुलंद क़ा मत नहीं समझा।
अना (ध्यान/विवेक) और ख़ुद परस्ती जैसे हक़ीर (छोटे) मसाएल (समस्या) से बालातर होकर हर शख़्स को मुत्तहिद ( मेल मिलाप) हो जाना चाहीए।