बुर्के की पाबंदी करते हुए मुल़्क की ख़िदमत का अह्द

* मिस्र के राष्ट्रपती की पत्नी फ्रस्ट महीला नहीं कहलाईंगी
क़ाहिरा । मिस्र के राष्ट्रपती मुहम्मद मर्सी के राष्ट्रपती चुनाव‌ में कल चुने जाने के तुरंत‌ बाद उन की पत्नी नजला महमूद ने अरब मुल़्क की फ्रस्ट महीला होने का लक़ब क़बूल करने से इनकार कर दिया और कहा कि वो मिस्र की सिर्फ पहली ख़ातून ख़ादिमा हैं।

मिस्र के पहले इस्लाम पसंद प्रमुख‌ होने वाले मुहम्मद मर्सी की पत्नी ने कहा कि मुझे मिस्र की फ्रस्ट महीला कहने की कोई ज़रूरत नहीं है बल्कि में मिस्र की पहली ख़ादिमा क़रार दीए जाने को पसंद करती हूँ क्यों कि हम तमाम इस मुल्क के बराबर के शहरी हैं। हम तमाम को बराबर‌ हुक़ूक़ हासिल हैं और हम तमाम का बराबर का फ़रीज़ा है कि हम इस मुल़्क की ख़िदमत करें ।

इख़वान उल मुस्लीमिन‌ की तर्जुमान वेबसाइट इख़वान एन लाईन से बातचित‌ करते हुए नजला महमूद ने कहा कि उम्म‌ ए अहमद मेरी कुनिय्यत है। इस के इलावा मुझे अप्पा नजला और हाजिया नजला भी कह सकते हैं।

उन्हों ने कहा कि इस्लाम मर्द और औरत‌ में किसी किस्म का फ़र्क़ नहीं रखता। हम सब मिस्री लोगों में से हैं और सब बराबर हैं।
मंगलवार‌ को चुने गए सदर डाक्टर मुहम्मद मर्सी के एवान-ए-सदर के दौरे में न‌जला महमूद भी साथ‌ थी। इस दौरान उन्हों ने चेहरे पर मुकम्मल हिजाब ओढ़ रखा था।

मिस्र में पुर्व‌ हुकमरानों के जमानों में इन की पत्नीयों की तरफ‌ से इस्लाम के शरई पर्दे के एहतिमाम की कोई रिवायत नहीं रही। लेकिन‌ पच्चीस जनवरी दो हज़ार ग्यारह कि क्रांती के बाद मुहम्मद मर्सी पहले क्रांतीकारी सदर हैं जिन की पत्नी हिजाब और नमाज रौजों की पाबंद महीला हैं।

डाक्टर मुहम्मद मर्सी के अमेरीका में पढाई करने के जमाने में भी नजला महमूद उन के साथ रहीं।इस के बाद वतन वापसी पर जब डाक्टर मर्सी इख़वान उल मुस्लीमीन‌ में शामिल हुए तो उन की पत्नी ने भी अपने शौहर की जमाती और सयासी सरगर्मीयों में उन के साथ हर तरह कि मदद‌ कि थी।