वालदैन अज़मत के वो बुलंद मीनार हैं, जो कि किसी भी हाल में अपने बच्चों से नफ़रत नहीं करते और ना ही बच्चों से दूश्मनी रखते हैं। आप उन से कितनी ही नफ़रत करलो, मगर वो हमेशा अल्लाह ताला की बारगाह में दूआ गो रहते हैं। वो सिर्फ अपने बच्चों की ख़ैर व आफ़ीयत चाहते हैं, कभी बुरा नहीं चाहते। फिर भी लोग इस अज़ीम दौलत को ठुकराकर अमीर-ओ-कबीर और दौलतमंद बनना पसंद करते हैं। क्या ये लोग वालदैन की नाफ़रमानी और दिल आज़ारी करके जहन्नुमी बनना पसंद करते हैं?। वालदैन के साथ हक़तल्फ़ी करने वालों को अल्लाह ताला कभी माफ़ नहीं फ़रमाएगा।
हुज़ूर पुरनुर स.व. ने मुतअद्दिद बार वालदैन के हुक़ूक़ के बारे में तल्क़ीन फ़रमाई है। क्या हम में इत्नी हिम्मत आगई है कि हम अपने प्यारे रसूल स.व. की नाफ़रमानी करें।
वालदैन अज़मत के वो बुलंद मीनार हैं, जिस की बुलंदी को हम नहीं छू सकते, जिन की मेहरबानीयों की कोई हद नहीं, जिन की मुहब्बतों का दरिया अपने हर बच्चे के लिए यकसाँ रवानी से बहता रहता है। यानी वालदैन वो मता अज़ीज़ हैं, जिन का कोई मोल नहीं। दुनिया का सब से मुफ़लिस शख़्स वो है, जिस के वालदैन बाहयात हैं और नाराज़गी के सबब इस से दूर हैं। ख़ाह वो शख़्स कितना ही दीनदार, अमानतदार और आला तालीम याफ़ता क्यों ना हो, दुनिया-ओ-आख़िरत की सारी दौलत इस के लिए बेकार है, यानी कोई दौलत काम आने वाली नहीं है। हुज़ूर सरवर-ए-कायनात स.व. का इरशाद है कि वालदैन को एक नज़र मुस्कुराकर देखने पर एक हज का सवाब है।
ये वही माँ बाप हैं, जो अपनी बीमारी की परवाह ना करते हुए अपने बच्चे की बीमारी पर तड़प उठते हैं और अल्लाह ताला से अपने बच्चों की सेहतयाबी के लिए गिड़गिड़ाकर दुआएं करते हैं। ये वही वालदैन हैं, जो अपने बच्चों की आला तालीम-ओ-आसाइश के लिए दिन भर भाग दौड़ करते हैं और अपनी उम्र भर की कमाई कल की परवाह किए बगै़र अपने बच्चों पर लुटा देते हैं। आज हम जो कुछ भी हैं उन की दुआओं और मेहनत का सिला है।
उन्हों ने अपनी उम्मीदों को अपने सीने में सिर्फ इस लिए दफ़न कर लिया कि हमारे बच्चे फले फूलें और तरक़्क़ी करें। मगर अफ़सोस कि आज वही बच्चे जिन के लिए वालदैन ने अपना सब कुछ क़ुर्बान कर दिया, इन (वालदैन) से दूर रहने की कोशिश करते हैं।दूआ है कि अल्लाह ताला हम सब को अपने वालदैन का मुतीअ-ओ-फ़र्मांबरदार बनाए और हमारे वालदैन हम से तादम आख़िर राज़ी रहें (आमीन)
अन जाने में अगर हम से कोई नाफ़रमानी होगई हो तो हम फ़ौरन अपने वालदैन से माफ़ी तलब करें और अल्लाह ताला से अपने लिए और अपने वालदैन के लिए बख़शिश-ओ-मग़फ़िरत तलब करें, यक़ीनन अल्लाह ताला हम सब की बख़शिश-ओ-मग़फ़िरत फ़रमाने वाला है।