बेंगलुरु : मर्दों के द्वारा औरतों पर अत्याचार के तौर पर देखे जाने वाले तीन तलाक को जहां एक तरफ महिलाओं के अधिकारों की जीत माना जा रहा है, तो वहीं मरकाजी दारुल कजा इमारत-ए-शारिया बेंगुलुरु का आंकडा कुछ और ही ज़ाहिर कर रही है। यहां एक साल में पुरुषों से अधिक मुस्लिम महिलाओं ने तलाक (खुला) की अर्जी दी है।
मरकाजी दारुल कजा इमारत-ए-शारिया के डाटा के मुताबिक पिछले साल कुल 116 मामले सामने आए, जिसमें से 81 में महिलाओं ने खुला की अपील की थी। वहीं इस साल अगस्त तक कोर्ट में तलाक के 70 मामले आ चुके हैं, जिसमें से 53 खुला के हैं। काजी मौलाना मोहम्मद हारुन रशदी ने बताया कि तलाक की अर्जी देने वालों में यहां औरतों की तादाद अधिक होती है और इनकी उम्र 28 से 35 वर्ष के बीच की होती हैं।
काजी ने बताया, ‘कई सारे केसों में औरतें माता-पिता के दबाव में आकर खुला की अर्जी देती हैं। हम तलाक की अर्जी देने वाले पुरुषों, महिलाओं और उनके परिजनों की काउन्सलिंग करते हैं। केवल ऐसे ही केसों में खुला जारी किया जाता है, जहां कोई समझौता नहीं हो सकता है या फिर महिला को खराब शादी से आजादी चाहिए होती है। अब अधिक महिलाएं शिक्षित हो रहीं हैं। यह फैक्टर भी तलाक के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार है।’
काजी मौलाना ने बताया कि महिलाओं द्वारा अधिकतर केसों में खुला के लिए गालीगलौज और गैरजिम्मेदाराना पति, दूसरे से संबंध, पारिवारिक दबाव, आपसी समझ की कमी, महिला की आर्थिक स्वतंत्रता और अधिक शैक्षिक योग्यता जैसी वजहें शामिल हैं।