पाकिस्तान के सबसे बड़े सियासी घराने भुट्टो खानदान में पैदा हुई बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान के साबिक वज़ीर ए आज़म जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी थीं वे 1988-90 और 1993-96 में दो मर्तबा वज़ीर ए आज़म बनीं | 2007 में फौजी ताकत जब दम तोड़ रही थी और लोग जम्हूरियत के लिए आवाज उठा रहे थे, तब मोहतरमा बेनजीर भुट्टो अपने नौ साल की ज़िला वतनी काट मुल्क लौटी थी |
मुशर्रफ की हुकूमत ने उन्हें वापसी की इजाजत तो दी, लेकिन उन पर जानलेवा हमले का इंतेबाह भी दे दिये थे बेनजीर ने दुबई से कराची की फ्लाइट के वक्त कहा था, मुझे लगता है कि सबसे बड़ी सेक्युरिटी खुदा की है और खुदा ने चाहा तो सब कुछ ठीक होगा…
भुट्टो की मौत से पाकिस्तान में सियासी कियादत की कमी देखी जा सकती है. वहीं, पाकिस्तान की सियासी और जम्हूरी मुस्तकबिल लटका हुआ है |
भुट्टो पहली ऐसी खातून लीडर थीं, जो किसी मुस्लिम मुल्क में आवाम की तरफ से चुनी गई थीं वह दो बार पाकिस्तान की वज़ीर ए आज़म रह चुकी थीं |
अमेरिका से हार्वर्ड की डिग्री लेने के बाद बेनजीर इंटरनेशनल लॉ एंड डिप्लोमेसी कोर्स के लिए ऑक्सफोर्ड चली गईं | जिया उल हक़ के दौर में (1977) भुट्टो के वालिद और साबिक वज़ीर ए आज़म जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर लटका दिया गया |
वालिद के इंतकाल के बाद भुट्टो ने वालिद की पार्टी (पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी) से सियासत की शुरुआत की 1988 में उन्हें इंग्लैंड से पाकिस्तान आने की इजाजत मिली |
1988 के नेशनल इलेक्शन में पीपीपी को जीत हासिल हुई उन्होंने इत्तेहाद करके हुकूमत बनाई और पाकिस्तान की पहली खातून पीएम बनी |
1987 में भुट्टो ने आसिफ अली ज़रदारी से शादी कर ली ज़रदारी खुद नेशनल असेम्बली के मेम्बर थे उन्होंने खुद अपनी बेगम के दूसरे दौर ए इक्तेदार में Environment Minister का ओहदा संभाला सिर्फ 35 साल की उम्र में भुट्टो किसी भी मुस्लिम मुल्क की सबसे यंगेस्ट लीडर थी |
भुट्टो को हमेशा अमेरिका की ताईद रही है इतना ही नहीं, 1989 में व्हाइट हाउस में अमेरिकी सदर बुश की मेहमाननवाजी कुबूल की
2007 में उन्हें एक बार फिर पाकिस्तान आने इजाजत दी गई लेकिन खुदा को कुछ और ही मंजूर था उनकी पहली ही रैली में जोरदार खुदकुश हमला हुआ, इसमें वह तो बच गई, लेकिन उनके कई हामियों की जानें चली गईं |
उनकी मौत से पहले पाकिस्तानी आवाम मुशर्रफ की हुकूमत का जमकर मुखालिफत कर रही थी उनका मानना था कि बेनजीर पाकिस्तान के हालत ज्यादा बेहतर तरीके से जानती हैं |
आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान में मिस्टर 10 परसेंट (कमीशन) के नाम से बदनाम थे बेनजीर की मौत के बाद हुए इलेक्शनों में पीपीपी पार्टी ने इत्तेहाद से हुकूमत बनाए और आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान के सदर बने |
दुनिया की सबसे बड़ी खातून लीडरो में शुमार बेनजीर भुट्टो के इंतेकाल को आज पांच साल पूरे हो चुके हैं ऐसी ही सर्दी की दोपहर और इलेक्शन का मौका था, जब रावलपिंडी की रैली में चली गोलियों ने पाकिस्तान की इस आवाज को सिर्फ 54 साल की उम्र में खामोश कर दिया |