बाली वुड अब दूसरे ममालिक के फ़नकारों को भी भाने लगी है और हैरत की बात तो ये है कि दीगर ममालिक के फ़नकार भी हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री में नाम और पैसा कमा रहे हैं ऐसे ही एक फ़नकार सरहद पार से आए अली ज़फ़र हैं जिन्हों ने फ़िल्म तेरे बिन लादन से बाली वुड में अपने कैरीयर की शुरूआत की अब वो फ़िल्म मेरे बिरादर की दुल्हन में अपनी बेहतरीन अदाकारी के ज़रीया नाम कमा रहे हैं अली ज़फ़र एक मशहूर गुलूकार भी हैं हालिया दिनों उन का एक प्राईवेट एलबम झूम भी रीलीज़ हुआ है इस मौक़ा पर उन्हों ने मीडीया से बातचीत की जिस का ख़ुलासा यहां पेश है ।
स : पाकिस्तानी फ़िल्म इंडस्ट्री के मुक़ाबिल आप ने बाली वुड का इंतिख़ाब क्यों किया ?
ज : ये मेरी ख़ुशक़िसमती है कि मुझे यहां काम करने का मौक़ा मिला और यहां की अवाम ने भी मेरा ज़बरदस्त इस्तिक़बाल क्या मेरी आवाज़ के साथ साथ मेरे काम को भी बहुत पसंद किया गया ।
स : आप ने कैरीयर की शुरूआत बिन लादन जैसी फ़िल्म से ही क्यों की जबकि आप को कोई रोमांटिक फ़िल्म भी मिल सकती थी ?
ज : इस फ़िल्म का मौज़ू मुझे बहुत पसंद आया और मेरे ख़्याल से ये अच्छा भी हुआ क्योंकि इस फ़िल्म को अवाम ने ख़ूब पसंद किया और ये हमारी ख़ुशक़िसमती रही के कम बजट होने के बावजूद अच्छा ख़ास्सा बिज़नस क्या इस फ़िल्म के दीगर हुक़ूक़ भी काफ़ी अच्छी क़ीमतों में फ़रोख़त हुए मेरे ख़्याल से इस तरह के मौज़ू पर बनी फ़िल्म में ना करता तो शायद मेरी इतनी पहचान भी ना बनती आज लोग मुझे इसी फ़िल्म के ज़रीया पहचानते हैं । अगर दूसरी कोई फ़िल्म होती तो मेरी इतनी पहचान ना बनती बहरहाल मैंने जो भी क़दम उठाया वो मेरे हिसाब से ठीक था ।
स : आजकल यश राज आप पर काफ़ी मेहरबान हैं एक तो उन्हों ने अपनी फ़िल्म मेरे बिरादर की दुल्हन में आप को काम दिया दूसरे आप का एलबम भी इसी कंपनी के ज़रीया लॉन्च हुआ ?
ज : अब क्योंकि में इन लोगों के साथ मेरे बिरादर की दुल्हन में काम किया है तो ये क़ुदरती ही है कि इन के बहुत सारे लोगों के साथ मेरा मिलना-जुलना होता है इसी तरह मेरी बात मिस्टर वजए से हुई जो यश राज म्यूज़िक कंपनी का डिपार्टमैंट देखते हैं और जब मैंने अपने एलबम की बात की तो वो फ़ौरी राज़ी होगए इस तरह इस कंपनी के ज़रीया मेरा एलबम भी आगया ।
स : हमारे ख़्याल से आप एक तवील वक़फ़ा के बाद अपना एलबम लेकर आए हैं ?
ज : हाँ चार साल के वक़फ़ा के बाद मेरा ये एलबम मार्किट में आया है । मैंने अपने अल्बम्स इस लिए नहीं निकाले क्योंकि म्यूज़िक इंडस्ट्री एक ख़राब दूर से गुज़र रही थी अब कुछ सुधार आरहा है इस दौर में बैरून-ए-मुमालिक में स्टेज शूज़ देने में मसरूफ़ होगया था वैसे मैं तेज़ रफ़्तारी से काम करना नहीं चाहता में ऐसा काम करना चाहता हूँ जो तवील अर्सा तक याद रखा जाय मुझे तवक़्क़ो है कि मेरा ये नया एलबम भी ख़ूब मक़बूलियत हासिल करईगा ।
स : आप के इस एलबम के बारे में कहा जाता है कि ये एक पाप म्यूज़िक एलबम है ?
ज : हाँ ये दरुस्त है में इस म्यूज़िक को फिर से शायक़ीन मूसीक़ी के दरमयान लाना चाहता था ।
स : आप शायद इस बारे में भी जानते होंगे कि हिंदूस्तान में पाप म्यूज़िक का कोई पुरसाँ हासिल नहीं है ?
ज : देखिए ये तो इस बात पर मुनहसिर करता है कि आप ज़िंदगी से किया चाहते हैं में इस एलबम से पैसा कमाने की उमीद नहीं कररहा हूँ अब यही बात ले लीजिए कि अगर आप एक राईटर हैं तो आप चाहेंगे कि आप का लिखा हुआ पढ़ने वालों तक पहुंचे और फिर वो इस के बारे में फ़ैसला करें हालात मुवाफ़िक़ हूँ या ना हूँ आप इस एक गोल्डन मूमैंट का इंतिज़ार तो नहीं करसकते आप को तो काम करते रहना होताहै ।
स : आप के पहले दो अल्बम्स काफ़ी गर्म थे लेकिन झूम के बारे में कुछ और ही कहा जाता है ?
ज : मेरे पहले दो एल्बमों ने मेरे प्रोफ़ेशनलिज़म की शुरूआत की और में अपने काम में कुछ अलग करना चाहता हूँ मेरे ख़्याल से कोई भी इंसान वक़्त के साथ तरक़्क़ी पाता है और पुख़्ता होता है और इबतदा-ए-में , मैंने जो भी काम किया ज़रूरी नहीं कि अभी भी वही करूं कुछ बदलाव तो ज़रूर होना चाहीए ये मेरी फ़ित्रत भी है ।
स : एक सिंगर और एक ऐक्टर की ज़िंदगी में क्या फ़र्क़ होता ही?
ज : एक ऐक्टर की ज़िंदगी एक सिंगर की ज़िंदगी से बहुत मुश्किल होती है हर रोज़ सुबह उठते ही उन्हें ख़ूबसूरत नज़र आना होता है और अपने मकालमे याद करने होते हैं हर सीट पर हर किरदार में एक ही दिन में मुख़्तलिफ़ तर्ज़ की अदाकारी करनी पड़ी है बारह बारह घुटने सीट पर रहना पड़ता है । उन्हें अपने शॉट्स केलिए इंतिज़ार भी करना पड़ता है उन के मुक़ाबले सिंगर्स बेहद आराम और आज़ाद ज़िंदगी गुज़ारते हैं । रात देर गए तक काम करसकते हैं उन्हें सजने संवरने की ज़रूरत नहीं होती वो कभी तनाॶ में नहीं रहते देर तक सो सकते हैं और सब से बड़ी बात तो वो अपने लिए जी सकते हैं ।