नई दिल्ली, २१ सितंबर ( पी टी आई) पेट्रोल व डीज़ल की क़ीमतों में इज़ाफ़ा और रीटेल शोबा में बैरूनी रास्त सरमायाकारी ( विदेशी निवेशको) की इजाज़त दिए जाने के ख़िलाफ़ एन डी ए और कम्यूनिस्ट जमातों की जानिब से मनाया गया बंद बिलकुल कामयाब रहा ।
मर्कज़ी हुकूमत ने इस एक रोज़ा बंद के बाइस ( सबब/ कारण) 2000 करोड़ रुपय के नुक़्सान का अंदाज़ा लगाया है । हुकूमत का कहना है कि अपोज़ीशन के इस भारत बंद से जहां रोज़ कमाई करने वालों को नुक़्सान पहुंचा है पैदावार मुतास्सिर ( प्रभावित) हुई वहीं कई मुक़ामात पर सरकारी इमलाक (दफ्तरो) को नुक़्सान पहुंचाया गया ।
बैरूनी रास्त सरमाया कारी इस्लाहात के ख़िलाफ़ मुल्क भर में एहतिजाजी मुज़ाहिरों ( वीरोध प्रदर्शन) और बंद पर तन्क़ीद करते हुए हुकूमत ने इस एहतिजाज के पीछे कारफ़रमा जमातों को मुल्क के मआशी ( माली) नुक़्सानात का ज़िम्मेदार क़रार दिया साथ ही हुकूमत ने ये भी वाज़िह ( स्पष्ट) करदिया है कि वो मआशी इस्लाहात से हरगिज़ हरगिज़ पीछे नहीं हटेगी क्योंकि मुल्क को बहुत ज़्यादा तरक़्क़ी की ज़रूरत है ।
यू पी ए के सीनीयर वुज़रा ( मंत्री) ने फिर इस बात को दुहराया है कि तृणमूल कांग्रेस की ताईद वापस लिए जाने के बावजूद मर्कज़ी हुकूमत के इस्तिहकाम ( मजबूती) को कोई ख़तरा नहीं है । इसी सिलसिला में इन वुज़रा ने नए हलीफ़ों ( समर्थको) से हाथ मिलाने के इशारे भी दिए हैं ।
इन मर्कज़ी वुज़रा ( केंद्रीय मंत्रीयों) का कहना है कि 8 ग़ैर यू पी ए जमातों और क़ौमी जमहूरी महाज़ ( एन डी ए ) की जानिब से की गई एक रोज़ा हड़ताल मईशत ( जींदगी) की तबाही का बाइस ( कारण/ वजह) बनी इस के इलावा इस का कोई असर नहीं हुआ इस हड़ताल का फ़ौरी असर ये है कि मुल्क को बहुत बड़े माली नुक़्सान से दो-चार होना पड़ा ।