भारत में ऑस्ट्रेलिया, जापान और कोरिया से ज़्यादा उत्पन्न हो रहा कार्बन

भारत में कार्बन उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2015 के दौरान इसमें 5.2 फीसदी की वृद्धि रिकॉर्ड की गया जबकि इसी दौरान चीन को अपने उत्सर्जन में 0.7 फीसदी की कटौती में कामयाबी मिली। यूं तो चीन में कार्बन उत्सर्जन की दर भारत से ज्यादा है लेकिन उसे हाल के वर्षों में इसकी दर घटाने में कामयाबी मिली है।एशिया के कुल कार्बन उत्सर्जन में भारत का हिस्सा 46 फीसदी है। नीदरलैंड्स एनवायरनमेंट एसेसमेंट एजंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में 4.7 फीसदी वृद्धि दर्ज की गयी है। इसके मुताबिक, देश में कोयले की बढ़ती खपत ही इसकी प्रमुख वजह है. दूसरी ओर, ट्राई ने टेलीकॉम सेक्टर में वर्ष 2022-23 तक कार्बन उत्सर्जन में 40 फीसदी की कटौती का लक्ष्य रखा है।

एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि वर्ष 1971 से 2015 के दौरान देश में यह उत्सर्जन 1041 फीसदी बढ़ा है।उस समय यह 18 करोड़ टन था जो 201.5 में 206.6 करोड़ टन तक पहुंच गया। पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजंसी ने ईंधन दहन से कार्बन डाय ऑक्साइड का उत्सर्जन शीर्षक अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि बीते कुछ वर्षों के दौरान भारत का कार्बन उत्सर्जन ऑस्ट्रेलिया, इस्राएल, जापान, न्यूजीलैंड और कोरिया के साझा उत्सर्जन से ज्यादा रहा है।

‘अर्थ सिस्टम साइंस डाटा जर्नल’ में छपे एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि विश्व में होने वाले कार्बन उत्सर्जन में भारत का हिस्सा 6.3 फीसदी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में चीन का हिस्सा 29 फीसदी है। बीते एक दशक के दौरान वहां कार्बन उत्सर्जन की दर लगातार बढ़ रही थी. लेकिन वर्ष 2015 से इसमें बदलाव आया है। कोयले पर निर्भरता घटाने की वजह से ही चीन को कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने में सहायता मिल रही है।विशेषज्ञों का कहना है कि 20वीं सदी के मध्य से जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल के चलते कार्बन उत्सर्जन के स्तर में लगातार वृद्धि से मौसम के मिजाज में बदलाव आया है।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते एक दशक के दौरान वायुमंडल में कार्बन डाय ऑक्साइड का घनत्व बढ़ा है। बीते दो दशकों के दौरान इसमें दो पीपीएम की दर से वृद्धि दर्ज की गई है. इस अध्ययन में शामिल विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2015 में दो-तिहाई उत्सर्जन महज 10 देशों में ही दर्ज किया गया. इनमें चीन (28 फीसदी), अमेरिका (15 फीसदी) और भारत (छह फीसदी) शीर्ष तीन स्थान पर रहे. भारत के संदर्भ में इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 1971 से 2015 के दौरान देश में कार्बन उत्सर्जन में प्रति व्यक्ति 394 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी. वर्ष 1990 से 2015 के दौरान प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के वैश्विक औसत में 13 फीसदी वृद्धि हुई थी।