भारत में बदहाल है महिला कैदियों की स्थिति, 18 हजार महिलाएं जेलों में हैं बंद

भारत में लगभग 18 हजार महिलाएं भारतीय जेलों में बंद हैं। उनमें से नौ फीसदी अपने बच्चों के साथ वहां रहती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस बच्चों के मौलिक अधिकारों पर फैसला दिया है लेकिन उनका पालन नहीं के बराबर हो रहा है। जेल में बंद महिला कैदियों की स्थिति बदहाल है। समय-समय पर उनके यौन शोषण की खबरें आती रहती हैं, लेकिन केंद्र या किसी राज्य सरकार ने अब तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। सबसे बड़ी समस्या तो जगह की कमी की है।

मुकदमों की बढ़ती तादाद की वजह से कई मामलों में बिना सुनवाई के ही महिला कैदियों को बरसों जेल में रखा जाता है। लगभग हर जेल में कैदियों की तादाद क्षमता से ज्यादा है। राष्ट्रीय महिला आयोग अपनी एक रिपोर्ट में पहले ही इस पर गंभीर चिंता जता चुका है। लेकिन उसकी रिपोर्ट भी ठंढे बस्ते में ही पड़ी है।

लंबित मामलों की सुनवाई शीघ्र होने पर हजारों कैदियों को जेल से मुक्ति मिल सकती है। इसके लिए त्वरित अदालतों का गठन किया जा सकता है. जेल में महिलाओं के यौन शोषण पर अंकुश लगाने के लिए कोई कारगर व्यवस्था नहीं है। वहां महिला सुरक्षा कर्मचारियों की कमी से यह समस्या और गंभीर हुई है।

इन महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं के बराबर हैं। जेल में बंद ज्यादातर महिलाओं को समाज और परिवार का समर्थन नहीं मिलता। नतीजतन कई मामलों में सजा पूरी होने या जमानत मिलने के बावजूद ऐसी महिलाएं जेल से बाहर नहीं आ पातीं। जेलों में साफ-सफाई और स्नानघर जैसी सुविधाओं की भी भारी कमी है। कई जेलों में तो डेढ़ सौ कैदियों के लिए महज दो स्नानघर हैं।

महिला और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि महिला कैदियों की दशा सुधारने की दिशा में न्यायपालिका, केंद्र व राज्य सरकारों को ठोस कदम उठाना जरूरी है। इसमें गैर-सरकारी संगठनों को भी साथ लिया जा सकता है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2014 में हालातों व यौन उत्पीड़न से आजिज आकर 51 महिला कैदियों ने आत्महत्या कर ली थी।

मुकदमों के निपटारे में होने वाली देरी और जेलों में महिला कैदियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ा कर हालत सुधारी जा सकती है। इसके साथ ही महिला कैदियों के बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए ठोस योजना बनाई जानी चाहिए ताकि वह आगे चल कर देश के बेहतर और जिम्मेदार नागरिक बन सकें।

कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (जेल) सत्यानारायण राव कहते हैं, “बच्चों के साथ रहने वाली महिला कैदियों को स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक माहौल मुहैया कराने की दिशा में अभी काफी कुछ किया जाना है। इनमें से सबसे पहला है 38 साल पुराने जेल मैन्यूल में बदलाव।” लेकिन सरकार की प्राथमिकताएं शायद कुछ और हैं।