भारत रतन के लिए अब आनंद पर ग़ौर करने का वक़्त!

विश्वानाथन आनंद ने फिर एक बार कारनामा अंजाम दिया है । उन्होंने मास्को में इसराईल के बोरिस गलफ़ेन्ड को शिकस्त देकर पांचवें मर्तबा वर्ल्ड चेस चम्पियन शिप जीत ली । ये आनंद ही है जिन्होंने हमें आलमी मंज़र पर किसी और से कहीं ज़्यादा फ़ख़्रिया लम्हात अता किये हैं।

अगर आप दुनिया के किसी भी गोशा में मौजूद स्पोर्टस शाइक़ीन से पूछें कि कोई तीन टाप हिंदूस्तानी स्पोर्टस परसन के नाम बताएं तो यक़ीनन आनंद इन में नुमायां तौर पर नज़र आयेंगे । लिहाज़ा ज़ाहिर तौर पर ये सवाल पैदा होता है कि आया आनंद अज़ीमतरीन हिंदूस्तानी स्पोर्टस परसन हैं जिन्हें अब भारत रतन का एज़ाज़ दिया जाना चाहीए ?

क्या वो सचिन तेंदुलकर और ध्यान चंद जैसे लीजेंडस से बेहतर है? अगरचे ये ना तो आसान है और ना ही मुख़्तलिफ़ खेलों और मुख़्तलिफ़ अदवार के खिलाड़ियों का तक़ाबुल करना मुंसिफ़ाना है , लेकिन हमें पहले ये देखना होगा कि आनंद ने बरसहा बरस पर मुश्तमिल अपने ताबनाक कैरियर के दौरान क्या कुछ कर दिखाया है ।

आनंद ने जिस तरह अपने तमाम कैरियर में भरपूर ग़लबा के साथ हरीफ़ों को मात दी वो ग़ैरमामूली कारकर्दगी है । बहुत कम हिंदूस्तानी स्पोर्टस परसन ने ऐसा कारनामा अंजाम दिया है जो कुछ आनंद ने अपने मिसाली कैरियर में अब तक कर दिखाया ।

अपने 5 आलमी ख़ताबात और मुतअद्दिद दीगर बैन अल-अक़वामी (अंतर्राष्ट्रीय) ट्राफियों के इलावा आनंद ने छः चेस आस्कर्स भी जीते हैं जो दुनिया भर के बेहतरीन खिलाड़ियों और मुसन्निफ़ीन से हासिल कर्दा वोटों की असास पर दिया जाना वाला एवार्ड है ।

आनंद ने सब से पहले आलमी मंज़र पर अपनी आमद का एहसास उस वक़्त दिलाया जब उन्हों ने 1991 में रेगेव अमुल्या टूर्नामेंट में गैरी का सपा रूफ और एनातोली कारपोफ़ से बरतर मुक़ाम पर इख़तताम किया था। एक बड़ी वजह कि आनंद को क्यों अज़ीमतरीन शातिर खिलाड़ी क़रार दिया जाता है , ये हक़ीक़त है कि वो वाहिद खिलाड़ी हैं जिन्होंने 3 मुख़्तलिफ़ टूर्नामेंटस में वर्ल्ड टाइटल्स जीते । कोई भी दीगर यहाँ तक कि सपा रूफ और कारपोफ़ ने ये कारनामा अंजाम नहीं दिया है ।