रावलपिंडी, 24 अप्रैल: पाकिस्तान के साबिक फौजी हुक्मरान परवेज मुशर्रफ की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। मंगल के दिन उन्हें साबिक वज़ीर ए आज़म बेनजीर भुंट्टो के कत्ल के मामले में कोर्ट (Terrorist Prevention Court) में पेश होना पड़ा। मुशर्रफ पर भुंट्टो के कत्ल के साजिश में शामिल होने का इल्ज़ाम है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की वकाफी जांच एजेंसी ने बेनजीर भुट्टो के कत्लके मामले में दायर आबूरी चार्जशीट में मुल्क के साबिक फौजि हुक्मरान परवेज मुशर्रफ को मुल्ज़िम बनाया था। मुशर्रफ पर इल्ज़ाम है कि उन्होंने बेनजीर भुट्टो की हिफाज़त के लिए जिम्मेदार उन दो सीनीयर पुलिस आफीसरों को तैनात किया था जिन्होंने कत्ल के वक्त भुट्टो को मुनासिब सेक्युरिटी मुहैया नहीं करवाई थी। मालूम हो कि साल 2007 में भुंट्टो को चुनावी रैली के दौरान मार दिया गया था।
भुट्टो हत्याकांड की जांच में सहयोग करें मुशर्रफ
इस्लामाबाद, 24 अप्रैल: पाकिस्तान की इंसेदाद ए दहशतगर्दी (Anti-terror court) की अदालत ने परवेज मुशर्रफ को बेनजीर भुंट्टो के कत्ल की जांच में मदद करने को कहा है। साबिक वज़ीर ए आज़म बेनजीर भुंट्टो की साल 2007 में रावलपिंडी में एक रैली के दौरान गोली मार कर कत्ल कर दी गया था।
मुशर्रफ को इस्लामाबाद के बाहरी इलाके चक शहजाद में बने फार्म हाउस से रावलपिंडी वाकेय् अदालत ले जाया गया। फार्म हाउस में उन्हें चार मई तक अदालती हिरासत में रखा गया है। इस फार्म हाउस को सब जेल (Sub-jail) बना दिया गया है। 2008 में मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद यह पहला मौका है जब मुशर्रफ रावलपिंडी अदालत में पेश हुए।
उन्हें जस्टिस चौधरी हबीब-उर-रहमान के सामने पेश किया गया। उनके वकील ने अदालत से उस हुक्म को रद्द करने को कहा, जिसमें मुशर्रफ को भगोड़ा करार दिया गया है।
इसके अलावा मुशर्रफ के बैंक खातों व जायदादों पर लगी रोक को भी खत्म करने की दरखास्त की। मामले की सुनवाई बंद कमरे में की गई। भुंट्टो कत्ल केस की जांच में मदद नहीं करने के वजह से साल 2011 में अदालत ने उन्हें भगोड़ा ऐलान कर दिया था और उनकी जायदाद के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी गई थी। बाद में मुशर्रफ को फौरन फार्म हाउस पहुंचा दिया गया।
अदालत के बाहर मुशर्रफ के खिलाफ नारे लगा रहे वकील और मुशर्रफ के हामी आपस में भिड़ गए। वकीलों ने हामियों को डंडों से पीटा और कई कारों को नुकसान पहुंचाया।
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