हिन्दुस्तान ने कहा कि माबाद 2015 तरक़्क़ीयाती एजंडे में भूक और ग़ुर्बत के ख़ातमे पर तवज्जा मर्कूज़ की जानी चाहीए। ग़िज़ाई तमानीयत और असरी बर्क़ी तवानाई ख़िदमात तक आलमगीर रसाई को यक़ीनी नाना अव्वलीन तर्जीह होनी चाहीए। आला सतही सियासी फ़ोर्म के इफ़्तिताही इजलास के दौरान जो अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की जनरल असेम्बली के इजलास के मौक़े पर अलैहदा तौर पर मुनाक़िद किया गया, वज़ीर-एख़ारिजा ने ख़िताब करते हुए कहा कि माबाद 2015 तरक़्क़ीयाती एजंडे को आगे बढ़ाया जाना चाहीए और हज़ार ये तरक़्क़ीयाती मक़ासिद के नामुकम्मल काम की तकमील की जानी चाहीए।
रियो पुलिस 20 के इजलास में आलमी क़ाइदीन ने इत्तेफ़ाक़ किया था कि ग़ुर्बत अज़ीमतरीन आलमी चैलेंज है, लेकिन पायदार तरक़्क़ी के लिए इस पर मर्कज़ी तवज्जु ज़रूरी है, ताकि भूक और ग़ुर्बत का मुस्तक़िल तौर पर ख़ातमा किया जा सके। उन्होंने कहा कि एजंडे में दीगर कलीदी मसाइल को तर्जीह दी जानी चाहीए, मुकम्मल और पैदावारी रोज़गार की नौजवानों को फ़राहमी, शहरियाने के अमल का इंतेज़ाम, इनफ्रास्ट्रक्चर की तख़लीक़, सारिफ़ीन की ज़रूरीयात को माक़ूल बनाना और तरक़्क़ी याफ़ता ममालिक में ग़िज़ा के ज़्यां का इंसिदाद। सलमान ख़ुरशीद ने बैन-उल-अक़वामी बिरादरी को यक़ीन दिया कि हिन्दुस्तान पायदार तरक़्क़ी का सख़्ती से पाबंद है।
उन्होंने कहा कि हमें हमारे लाखों अवाम को ग़ुर्बत से छुटकारा दिलाने और उनके लिए बेहतर मियार-ए-ज़िंदगी की फ़राहमी के लिए पायदार तरक़्क़ी की ज़रूरत है। दरहक़ीक़त पायदारी तरक़्क़ी के असल धारों में से एक है और हमारे पंच साला मंसूबा के बुनियादी मक़ासिद में शामिल है। उन्होंने कहा कि पायदार तरक़्क़ी की मुतवाज़िन और माक़ूल ज़ोर के साथ हुसूल की कोशिश की जानी चाहीए। उसकी तमाम तीनों जिहतों मईशत , मुआशरत और माहौलियात में तवाज़ुन बरक़रार रखना चाहीए। उन्होंने पोलीटिक्ल फ़ोर्म पर ज़ोर दिया कि उसे कार्रवाई पर मबनी तआवुन का प्लेटफार्म बनाया जाना चाहीए जो तरक़्क़ी पज़ीर ममालिक की जरूरतों और तर्जीहात पर ख़ुसूसी तवज्जु देता हो।
साथ ही साथ ख़लाई तरक़्क़ीयाती पालिसी के मुकम्मल तहफ़्फ़ुज़ का यक़ीन देता हो। उन्होंने माबाद 2015 तरक़्क़ीयाती एजंडे को आलमी शराकतदारी कामयाबी से तशकील देने का प्लेटफार्म बनाने पर ज़ोर दिया, ताकि तरक़्क़ी पज़ीर ममालिक को इस पर अमल आवरी के ज़्यादा वसाइल हासिल हो सकीं। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान आलमी मआशी हुक्मरानी में हक़ीक़ी इस्लाहात की कोशिशों को अहम समझता है, ताकि तरक़्क़ी पज़ीर ममालिक भी अपनी आवाज़ उठा सकीं और हक़ीक़त में तरक़्क़ी के शराकतदार बन सकीं।