दुनिया के बदतरीन सनअती सानिहा के 3 दिसमबर को 28 साल पूरे होरहे हैं लेकिन यूनीयन कार बाईड प्लांट के अहाते में ज़हरीले कीमीयाई माद्दे अब भी जूं कि तूं मौजूद हैं और मुस्तक़बिल क़रीब में भी उन्हें हटाने का कोई इमकान नज़र नहीं आता ।
भोपाल गैस हैटरित उद्योग संघटन के कन्वीनर अबदुल जब्बार ने बताया कि हुकूमत मध्य प्रदेश की इन ज़हरीले मादों के सफ़ाई की अब तक की कोशिशें नाकाफ़ी साबित हुई हैं ।
रियास्ती हुकूमत को सिर्फ़ गोदामों में पड़े हुए फ़ाज़िल मादों की फ़िक्र है और खुले अहाते में मौजूद फ़ाज़िल मादों से मुतास्सिरह इलाक़ों में पीने का पानी ज़हर आलूद होरहा है ।
यूनीयन कार बाईड प्लांट के अहाते में तक़रीबन 350 मैट्रिक टन फ़ाज़िल मादों का अंबार है और उन्हें साफ़ करने से मुताल्लिक़ रियास्ती हुकूमत के तमाम दावे बेबुनियाद साबित हुए हैं ।
इब्तिदा में हुकूमत मध्य प्रदेश इन फ़ाज़िल मादों को अंकलेश्वर ,गुजरात में फेंकने वाली थी और हुकूमत गुजरात ने इस से इत्तिफ़ाक़ भी करलिया था लेकिन गुजरत के अवाम ने जब मुख़ालिफ़त शुरू की तो हुकूमत ने भी इन फ़ाज़िल मादों को लेने से इनकार कर दिया ।
हुकूमत गुजरात ने ये कार्रवाई एसे वक़्त की जबकि वहां रियास्ती चुनाव बिलकुल क़रीब हैं । बाज़ रज़ा काराना तंज़ीमों ने भी फ़ाज़िल माद्दे यहां मुंतक़िल करने की मुख़ालिफ़त की थी ।
इस के बाद हुकूमत मध्य प्रदेश ने हथम पुर में इन फ़ाज़िल मादों की निकासी का फ़ैसला किया और 40 मैट्रिक टन फ़ाज़ मादों को जलाया भी किया गया ।
बाद में ये दावे किये गये कि हथम पुर का इलाके इन फ़ाज़िल मादों की निकासी के लिए मौज़ूं नहीं है । बी जे पी लीडर और साबिक़ मर्कज़ी वज़ीर विक्रम वर्मा की क़ियादत में यहां एहतिजाज भी शुरू कर दिया गया था ।
इन फ़ाज़िल मादों की नागपुर और जर्मनी निकासी की कोशिशें भी नाकाम होचुकी हैं ।