कोलकाता: (सियासत उर्दू) अपनी बेबाकी के लिए मशहूर फिल्म अभिनेता और भाजपा सांसद शत्रुघन सिन्हा ने कोलकाता अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला में आयोजित साहित्य महोत्सव में मस्जिद मंदिर की राजनीति करने वालों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि हम मानव हैं और इसके लिए काम करना हमारी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है .चौथा साहित्य महोत्सव में शत्रुघ्न सिन्हा ने हालाँकि किसी भी नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा उत्तर प्रदेश चुनाव अभियान के दौरान भाजपा नेता के बयान की ओर था जिसमें उन्होंने ने राम मंदिर निर्माण का वादा किया था. सिन्हा ने कहा कि देश में इस समय मंदिर और मस्जिद की राजनीति से कहीं अधिक गरीबी, समाज के दबे कुचले लोगों और अन्य लोगों के लिए काम करने की जरूरत है.
भाजपा नेताओं का नाम लिए बिना शत्रुघन सिन्हा ने कहा कि जो लोग मस्जिद और मंदिर की राजनीति करते हैं वे देश के विकास की राह में रुकावट खड़ी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे युवाओं के लिए आदर्श बनें. सिन्हा ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम युवाओं को बताएँ वे आगे आकर राजनीति में शामिल हों और देश के विकास के लिए अपनी सेवाओं की पेशकश करें.उनहोंने कहा कि लोग आज राजनेताओं को गाली देते हैं मगर जरूरत इस बात की है कि युवाओं को बताया जाए राजनीति में सब गलत नहीं हैं कुछ अच्छे लोग भी हैं. उनहोंने अपने राजनीतिक करियर के बारे में कहा कि मैं स्वस्थ लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए राजनीति में शामिल हुआ, और मेरा उद्देश्य स्पष्ट था, इसलिए जब भी मुझे लगा कि कुछ गलत हो रहा है तो मैं ने आवाज़ बुलंद की और इसके लिए मैं ने कीमत भी चुकाई. मगर मैं अपनी आवाज उठाने से नहीं चूका.
उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि 1991 में दिवंगत फिल्म स्टार राजेश खन्ना के खिलाफ उपचुनाव में हिस्सा लेना उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक गलती थी. उन्होंने अपने राजनीतिक गुरु लालकृष्ण आडवाणी के कहने पर उपचुनाव में भाग लिया .राजेश खन्ना मेरे दोस्त थे और हम सभी का सम्मान करते थे, लेकिन उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की वजह से वह नाराज हो गए, मैंने बहुत कोशिश की माफी माँगने की, मगर वह माफ नहीं कर सके. ज़नदगी के अंतिम दिन में मैं ने माफी मांग ली थी. मुख्य मंत्री ममता बनर्जी से संबंधित पूछे गए सवाल के जवाब में सिन्हा ने कहा कि ममता बनर्जी एक महान नेता हैं. उन्होंने ने कहा कि ज्योति बसु भी एक बड़े नेता थे. उन्होंने कहा कि कांशीराम और मायावती की भी इज्जत करता हूं उन्होंने मेरी मदद की थी. मैं राजनीति में व्यक्तियों के खिलाफ बोलने को नहीं मानता हूँ. हमारे विचार और सोच अलग हो सकते हैं मगर देश के सभी राजनीतिज्ञ के उद्देश्य एक है वह है देश की सेवा करना. बस काम करने के तरीके अलग हो सकते हैं. 70 और 80 के दशक के फिल्मों में बिहारी बाबू के नाम से मशहूर सब से सफल कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा से जब नोट बैन करने से संबंधित सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह साहित्यिक मुलाक़ात है इसलिए राजनीतिक बातों से परहेज करता हूँ.