मक्का मस्जिद धमाका केस , 4 मुस्लमान बेक़सूर साबित और इल्ज़ामात से बरी

नामपली क्रीमिनल कोर्ट के चौथे ऐडीशनल मेट्रो पोलिटेन सेशन जज ने मक्का मस्जिद धमाका केस के सिलसिले में गिरफ़्तार बेक़सूर 4 मुस्लिम अफ़राद को बरी कर दिया।

7 साल के तवील अर्सा के बाद अदालत ने मुल्ज़िमीन को बेक़सूर क़रार देते हुए उनकी बरात का हुक्काम जारी किया है। 18 मई साल 2007 को तारीख़ी मक्का मस्जिद में पेश आए बम धमाके के बाद उस वक़्त के कमिशनर पुलिस बलवेंदर सिंह ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन सेल (एस आई सी) क़ायम किया था जिस की क़ियादत उस वक़्त के जवाइंट कमिशनर पुलिस हरीश कुमार गुप्ता ने की थी।

एस आई सी ने 21 मई 2007 को महाराष्ट्रा के जालना इलाके से केरोसीन डीलर शुऐब जागीरदार को गिरफ़्तार करते हुए उसे हैदराबाद मुंतक़िल किया और बाद अज़ां मज़ीद तीन मुस्लिम अफ़राद शेख़ अबदुल नाईम उर्फ़ नईम मुतवत्तिन औरंगाबाद , सय्यद इमरान और रफुद्दीन अहमद को भी गिरफ़्तार करते हुए उनके ख़िलाफ़ एक मुक़द्दमा जिस का क्राईम नंबर 54/2007 है दफ़ा 120(B)(मुजरिमाना साज़िश),125 ( मुल्क के ख़िलाफ़ जंग छेड़ना), 126 और 12(1)(b)इंडियन पासपोर्ट एक्ट के तहत सेंट्रल क्राईम स्टेशन ( सी सी एस)में दर्ज किया था।

वाज़िह रहे कि एस आई सी में काम करने वाले उस वक़्त के सेंट्रल ज़ोन टास्क फ़ोर्स इन्सपेक्टर के रामचंद्रन ने ये गिरफ्तारियां अमल में लाई थी।

शुऐब जागीरदार ,शेख़ अबदुल नाईम और सय्यद इमरान को मक्का मस्जिद बम धमाका केस की तहक़ीक़ात कररही है एस आई सी टीम ने मुबय्यना तौर पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करते हुए उन पर मज़ालिम ढाए गए थे और इंतिहाई शिद्दत की जिस्मानी अज़ीयतें दी गई थी जिस में इलेक्टर शॉक भी शामिल हैं।

इस केस की तहक़ीक़ात को सी सी एस के स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम के हवाले की गई थी जिस ने ये दावे किया था कि शेख़ अबदुल नाईम् को इंडो बंगला सरहद पर गिरफ़्तार कियागया था और इस के ताल्लुक़ात पाकिस्तानी दहश्तगर्द तंज़ीम तशक्कुर तुय्यबा से है।

तहक़ीक़ाती एजेंसी ने ये दावे किया था कि नईम फ़रवरी साल 2007 को अपने साथी शुऐब जागीरदार की मदद से हैदराबाद का दौरा किया था जिस में इस ने हैदराबाद पासपोर्ट ऑफ़िस से शेख़ सुहेल के नाम से पासपोर्ट हासिल करने की कोशिश की थी। इस सिलसिले में जागीरदार और नईम ने स्टार लाईन ट्रावैल एजेंसी के नागेश से राबिता क़ायम किया था और हैदराबाद के पते पर पासपोर्ट हासिल करने की कोशिश की थी।

एस आई टी ने तहक़ीक़ात में ये भी दावे किया था कि नईम पासपोर्ट दरख़ास्त पुर करने के बाद हैदराबाद खास्कर पुराने शहर का दौरा किया था जिस की इस ने हैंडी कैंप से वीडियोग्राफी की थी। इतना ही नहीं तहक़ीक़ाती एजेंसी ने गिरफ़्तार अफ़राद पर ये भी इल्ज़ाम आइद किया था कि शुऐब जागीरदार और नईम ने हैदराबाद को एक मुश्तबा बयाग मुंतक़िल किया जिस में धमाको माद्दा होने का शुबा है।

पुलिस ने शुएब जागीरदार के भांजे सय्यद इमरान साकन बोइनपली और इस के एक साथी रफ़ी अहमद को भी गिरफ़्तार करते हुए उन्हें इस मुक़द्दमा में माख़ूज़ किया था।

शुएब जागीरदार ,सय्यद इमरान और शेख़ नाईम का बैंगलौर फॉरेंसिक लाइबरेटरी में जबरन नार्को एनालिसिस टेस्ट करवाया गया था जिस में मक्का मस्जिद धमाका से मुताल्लिक़ कई इन्किशाफ़ात होने का दावे किया था जो बाद में ग़लत साबित हुई।

7 साल के तवील अर्सा के बाद गिरफ़्तार अफ़राद को बिलआख़िर उस वक़्त राहत मिली जब नामपली क्रीमिनल कोर्ट के जज ने नाकाफ़ी शवायद के दस्तयाबी पर उन्हें बरी कर दिया।

इस केस की पैरवी नामपली क्रीमिनल कोर्ट के सीनीयर क्रीमिनल एडवोकेट मुहम्मद मुज़फ़्फ़र उल्लाह ख़ां शफ़ाअत ने की। इस मौके पर शुएब जागीर और इमरान ने सियासत न्यूज़ को बताया कि उन्हें बेजा मुक़द्दमा में माख़ूज़ किया गया था और उन्हें अदलिया से इंसाफ़ मिल गया है।