मक्का मुकर्रमा के हैदराबादी रुबात में क़ियाम तनाजे का शिकार

हैदराबाद 23 जून: हज 2015 के लिए मक्का मुकर्रमा में वाक़्ये हैदराबादी रुबात में क़ियाम के मसले की यकसूई करदी गई थी लेकिन औक़ाफ़ कमेटी निज़ाम की तरफ से इस मुआमले में तनाज़ा पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

हज कमेटी ने नाज़िर रुबात हुसैन मुहम्मद अलशरीफ़ से मुशावरत और उनकी मौजूदगी में 598 अफ़राद के रुबात में क़ियाम को यक़ीनी बनाते हुए क़ुरआ अंदाज़ी के ज़रीये आज़मीन का इंतेख़ाब किया। अगरचे मौजूदा रुबात में गुंजाइश कम है , इस के बावजूद नाज़िर रुबात ने अपने तौर पर कोशिश करके 600 आज़मीन के क़ियाम के इंतेज़ामात की पेशकश किया और दो ज़ाइद इमारतें हासिल करलीं।

नाज़िर रुबात की पेशकश और आज़मीन के क़ियाम में दिलचस्पी की हर सतह पर सताइश की जा रही है लेकिन औक़ाफ़ कमेटी निज़ाम ने क़ुरआ अंदाज़ी की मुख़ालिफ़त करते हुए सेंट्रल हज कमेटी को मकतूब रवाना किया।

तेलंगाना के डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर मुहम्मद महमूद अली-ओ-ऐडीटर सियासत ज़ाहिद अली ख़ां ने दो साल के वक़फे के बाद रुबात में आज़मीने हज्ज के क़ियाम को यक़ीनी बनाने में अहम रोल अदा किया।

ये हज़रात नाज़िर रुबात से मुसलसिल रुब्त में रहे और ये कोशिश की के रुबात की मौजूदा इमारत की गुंजाइश से ज़्यादा आज़मीन की रिहायश को यक़ीनी बनाया जाये ताके आज़मीन को रक़म की बचत हो। नाज़िर रुबात की मौजूदगी में हैदराबाद में क़ुरआ अंदाज़ी के ज़रीया आज़मीन का इंतेख़ाब किया गया और सेंट्रल हज कमेटी ने रुबात में क़ियाम के लिए मुंतख़ब आज़मीन से ख़ाहिश की के वो दूसरी और आख़िरी क़िस्त की रक़म से 46 हज़ार रुपये अलग करते हुए रक़म जमा करें।

रुबात में क़ियाम की सूरत में फ़ी आज़िम 46 हज़ार रुपये की बचत होरही है। मुंतख़ब आज़मीन ने इस रक़म को अलग करके दूसरी क़िस्त की अदायगी का आग़ाज़ कर दिया है।

एसे में अचानक औक़ाफ़ कमेटी निज़ाम ने तनाज़ा खड़ा करने की कोशिश की। कमेटी ने सेंट्रल हज कमेटी को शिकायत की हैके उनकी अदमे मौजूदगी में क़ुरआ अंदाज़ी की गई। कमेटी का कहना हैके क़ुरआ अंदाज़ी के तरीका-ए-कार भी वक़्फे के मुताबिक़ नहीं क्युंकि सिर्फ़ ग़रीब अफ़राद को ही क़ियाम की सहूलत फ़राहम करने की रिवायत है।

इस मकतूब के बाद सेंट्रल हज कमेटी ने तेलंगाना हज कमेटी को मकतूब रवाना किया और ख़ाहिश की कि इस मुआमले की जल्द यकसूई करली जाये। डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर मुहम्मद महमूद अली ने सेक्रेटरी अक़लियती बहबूद सय्यद उम्र जलील और स्पेशल ऑफीसर तेलंगाना हज कमेटी प्रोफेसर एसए शकूर के साथ मीटिंग मुनाक़िद किया और ओहदेदारों को हिदायत दी के मसले की यकसूई के लिए औक़ाफ़ कमेटी से बात करें।

वाज़िह रहे के मौजूदा सूरत-ए-हाल में रुबात के सिलसिले में कोई भी तनाज़ा आज़मीन के लिए दुशवारी का सबब बन सकता है। लिहाज़ा मुंतख़ब आज़मीन का मुतालिबा हैके औक़ाफ़ कमेटी को अपनी हट धर्मी का रवैया तर्क करदेना चाहीए।