मक्का मुकर्रमा में हैदराबादी रुबात में क़ियाम से मुताल्लिक़ तात्तुल के ख़ातमे के लिए तेलंगाना हुकूमत ने फ़रीक़ैन के साथ मुशावरत का आग़ाज़ किया है।
डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर मुहम्मद महमूद अली ने अक़लियती बहबूद के ओहदेदारों की मौजूदगी में औक़ाफ़ कमेटी एच ई अच्दी निज़ाम के ओहदेदारों से बातचीत की। मीटिंग में तए किया गया कि औक़ाफ़ कमेटी और नाज़िर रुबात की तरफ से रुबात में क़ियाम के सिलसिले में वसूल की जा रही दरख़ास्तों को यकजा करते हुए हुकूमत की तरफ से हैदराबाद में क़ुरआ अंदाज़ी की जाएगी।
औक़ाफ़ कमेटी के ओहदेदारों ने हुकूमत की इस तजवीज़ से इत्तिफ़ाक़ किया ताहम इस मसले पर डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर बहुत जल्द नाज़िर रुबात हुसैन मुहम्मद शरीफ़ से बातचीत करेंगे। हुकूमत इस बात की कोशिश कररही है के नाज़िर रुबात और जेद्दाह में हिंदुस्तानी कौंसिल जनरल को हैदराबाद मदऊ करते हुए उनकी मौजूदगी में रुबात के लिए क़ुरआ अंदाज़ी की जाये। मीटिंग में स्पेशल सेक्रेटरी अक़लियती बहबूद सय्यद उम्र जलील, डायरेक्टर अक़लियती बहबूद मुहम्मद जलालुद्दीन अकबर, स्पेशल ऑफीसर हज कमेटी प्रोफेसर एसए शकूर,औक़ाफ़ कमेटी के सेक्रेटरी मुहम्मद क़ासिम रज़ा और ट्रस्टी फ़ैज़ अहमद ने शिरकत की। वाज़िह रहे कि रुबात में क़ियाम के मसले पर दोनों फ़रीक़ैन की तरफ से दरख़ास्तों की तलबी के सबब आज़मीन-ए-हज्ज में उलझन की कैफ़ीयत पैदा होचुकी है। नाज़िर रुबात और औक़ाफ़ कमेटी ने अपनी वैब साईट पर अलाहिदा अलाहिदा दरख़ास्तें तलब की हैं।
बताया जाता हैके तेलंगाना हुकूमत रुबात में क़ियाम की इजाज़त से मुताल्लिक़ तसरीह के हुसूल के लिए सऊदी हुकूमत से नुमाइंदगी करेगी। चीफ़ मिनिस्टर चन्द्रशेखर राव का मकतूब कौंसिल जनरल जेद्दाह और सऊदी हुकूमत को रवाना किया जाएगा। रुबात में क़ियाम के सिलसिले में तात्तुल के ख़ातमे के लिए हुकूमत के पास वक़्त काफ़ी कम है। अगर जून तक फ़रीक़ैन किसी मसले पर मुत्तफ़िक़ ना हूँ तो बिल्डिंग स्लेक्शन कमेटी तमाम आज़मीन के क़ियाम के लिए इमारतों का इंतेख़ाब मुकम्मिल करलेगी। कमेटी की तरफ से इमारतों के इंतेख़ाब की तकमील के बाद रुबात में क़ियाम की कोई एहमीयत बाक़ी नहीं रहेगी और क़ियाम के बावजूद आज़मीन को रक़म वापिस नहीं की जाएगी।
उसी सूरत-ए-हाल को देखते हुए तेलंगाना हुकूमत ने मसाई को तेज़ कर दिया है। मौजूदा रुबात में 264 अफ़राद के क़ियाम की गुंजाइश है ताहम नाज़िर रुबात ने दो इमारतें हासिल करके 600 आज़मीन के क़ियाम को यक़ीनी बनाने का यकीन दिया है। बिल्डिंग में क़ियाम की इजाज़त से मुताल्लिक़ तसरीह सऊदी हुकूमत के मुक़ामी बलदिया की तरफ से जारी की जाती है जो इमारत की गुंजाइश और वहां मौजूद सहूलतों और शराइत की तकमील की बुनियाद पर होती है।
आज़मीन को तसरीह की इजराई के बाद रक़म वापिस मिल सकती है। पिछ्ली मर्तबा फ़ी आज़िम 38 हज़ार रुपये की बचत हुई थी। तनाज़ा के सबब पिछ्ले दो साल से आज़मीन रुबात में क़ियाम से महरूम हैं। दिलचस्प बात ये हैके तलंगाना हुकूमत रुबात में सिर्फ़ तेलंगाना के आज़मीन के क़ियाम की इजाज़त देने के हक़ में है जबकि नाज़िर रुबात और औक़ाफ़ कमेटी ने साबिक़ निज़ाम स्टेट के तहत कर्नाटक और महाराष्ट्रा के इन अज़ला के आज़मीन को भी क़ियाम का अहल क़रार दिया है जो साबिक़ निज़ाम स्टेट का हिस्सा रह चुके हैं। औक़ाफ़ कमेटी ख़ानवादा शाही, आला ओहदेदारान सरकारी दफ़ातिर साहिबज़ादा सरफ़ख़ास ट्रस्ट और उमोर मज़हबी ट्रस्ट-ओ-ओक़ाफ़ी कमेटी के मौजूदा-ओ-साबिक़ा मुलाज़मीन के लिए 10 फ़ीसद कोटा मुक़र्रर करने के हक़ में है। इस मसले पर भी फ़रीक़ैन में इत्तेफ़ाक़ राय पैदा होना आसान नहीं।