हैदराबाद के दो क़दीम और तारीख़ी स्कूलों मदरसा आलीया और महबूबिया गर्ल्ज़ हाई स्कूल की हालते ज़ार तलबाए क़दीम के लिए एक सदमा से कम नहीं। इन में से बेशतर ऐसी शख्सियतें हैं जिन्हों ने अपने स्कूल्स की शिकस्ता हालत को देख कर काफ़ी अफ़सोस ज़ाहिर किया और उन की आँखों से आँसू रवां हो गए। उन के ज़हनों में माज़ी के वो मनाज़िर घूमने लगे जहां ये स्कूल्स हक़ीक़त में तालीमी मराकज़ नज़र आया करते थे।
ज़हीन तलबा को क़ाबिल तरीन असातिज़ा से सुनने, पढ़ने, सीखने का मौक़ा मिला करता था लेकिन आज किसी भी तरह से मदरसा आलीया और महबूबिया गर्ल्ज़ हाई स्कूल किसी भी तरह इल्मी मराकज़ नहीं दिखाई देते। मुताअस्सिब ओहदेदारों ने मदरसा आलीया और महबूबिया गर्ल्ज़ स्कूल की इमारतों को एक तरह से खन्डर में तब्दील कर दिया है।
इन दोनों मदरसों के साबिक़ तलबा का कहना है कि इन तारीख़ी स्कूलों पर से हुकूमत का कंट्रोल ख़त्म कर देना चाहीए। उन्हें ख़ुद मुख़्तार इदारों का मौक़िफ़ अता किया जाए। माज़ी के इन दोनों मुमताज़ दर्सगाहों को बेहतर अंदाज़ में चलाने के लिए एक ऐसी कमेटी भी तशकील दी जाए जो 50 फ़ीसद तलबाए क़दीम और 50 फ़ीसद हुकूमत की जानिब से नामज़द कर्दा अरकान पर मुश्तमिल हो।
हिंदुस्तान को क़ाबिल तरीन शख्सियतें अता करने वाले आलीया स्कूल और महबूबिया गर्ल्ज़ हाई स्कूल की अज़मत रफ़्ता की बहाली के लिए चीफ मिनिस्टर तेलंगाना की जानिब से ख़ुसूसी फ़ंड मुख़तस किया जाए। मदरसा आलीया और महबूबिया गर्ल्ज़ स्कूल के साबिक़ तलबा तालिबात का एक ख़ुसूसी इजलास मुनाक़िद हुआ जिस में इस बात पर भी अफ़सोस का इज़हार किया गया कि इन दोनों स्कूलों में सरकारी दफ़ातिर ख़ासकर महकमा तालीमात के दफ़ातिर की मौजूदगी के बावजूद उन के तहफ़्फ़ुज़ पर कोई तवज्जा मर्कूज़ नहीं की जा रही है।
जनाब महमूद अली से मुलाक़ात करते हुए नुमाइंदगी करने वाले वफ़्द में जनाब अबूल फ़तह सैयद बंदगी बाशा कादरी भी मौजूद थे। वफ़्द ने डिप्टी चीफ मिनिस्टर को याद दिलाया कि इन दोनों स्कूलों ने मुल्क और क़ौम को काबिल शख्सियतें अता की हैं। जो ना सिर्फ़ हिंदुस्तान बल्कि दुनिया के मुख़्तलिफ़ मुल्कों में अपनी सलाहियतों का लोहा मनवा रहे हैं।