भारत सरकार ने अपनी तमाम सुरक्षा एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर मदरसों को लेकर एक आंतरिक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय मदरसों का जेहादी गतिविधियों में लिप्त होने का कोई सबूत नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देवबंद, अल हदीस, जमात और बरेलवी के अधीन संचालित होने वाले मदरसों से कोई आतंकी गतिविधियां संचालित नहीं होतीं।
पिछले कुछ अरसों से मदरसों के बारे में मीडिया से लेकर नेताओं ने काफी गलत पूर्वाग्रह फैलाये हैं। बीजेपी के ही सांसद साक्षी महाराज ने 2014 में मदरसों को आंतकवादियों का अड्डा तक करार दे चुके हैं। ऐसे में सुरक्षा एजेंसी की रिपोर्ट उन लोगों के लिए तमाचा है जो मदरसों को आतंकवाद से जोड़कर उसे बदनाम करने की कोशिश करते हैं।
रिपोर्ट के कहती है,इन संस्थाओं के मदरसे पारंपरिक तरीके से शिक्षा दे जाते हैं। जिसमें इस्लाम, दीनी तालीम और कुरआन और उसका हाफिजा कराना प्रमुख रहता है।
हालांकि सुरक्षा एजेसियां यह जानने की कोशिश कर रही है कि आखिरकार बांग्लादेश सीमा के आसपास चल रहे मदरसों के तार कहां से जुड़े हैं। ये कहीं और से संचालित तो नहीं हो रहे हैं? इतना ही नहीं इनमें काम कर रहे विदेशी नागरिकों पर भी सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नजर है। लेकिन रिपोर्ट में कोई ऐसा तथ्य नहीं पाया गया है जिससे मदरसों पर सवाल उठाया जा सके।