शाम में बाग़ीयों के जे़रे क़ब्ज़ा क़स्बे मदायह के हज़ारों रिहायशियों तक इमदाद की फ़राहमी का अमल ताख़ीर का शिकार हो गया है। अक़्वामे मुत्तहदा के आलमी इदारा ख़ुराक ने लेबनानी सरहद के क़रीब वाक़े इस महसूर इलाक़े में रिहायश पज़ीर 40 हज़ार अफ़राद तक ख़ुराक और अदवियात की पहली खेप इख़तेतामे हफ़्ता पर पहुंचाने का इमकान ज़ाहिर किया था।
ताहम आख़िरी वक़्त में कुछ मसाइल की वजह से अब ये इमदादी क़ाफ़िला पीर को ही इलाक़े में पहुंच पाएगा। मदायह से मिलने वाली बाअज़ इत्तिलाआत के मुताबिक़ वहां लोग भूक से मौत के दहाने पर हैं ज़िंदा रहने के लिए पालतू जानवर और घास फूस खाने पर मजबूर हैं।
हाल ही में इस क़स्बे के रिहायशी अब्दुल वहाब अहमद ने बताया कि भूक की वजह से लोगों ने अब तो मिट्टी खानी शुरू कर दी है क्योंकि यहां कुछ बचा ही नहीं है। घास और पते भी बर्फ़बारी से मर चुके हैं।