मदीना मुनव्वरा, 14 जुलाई : ( सियासत ऑनलाइन ) : हज-ओ-उमरा के मौक़े पर हर साल दुनिया भर के लाखों मुसलमान रोशनियों के शहर मदीना मुनव्वरा का सफ़र भी किया करते हैं लेकिन बहुत ही कम लोग इस हक़ीक़त से वाक़िफ़ हैं कि मदीना मुनव्वरा क़ुरानी अहकाम में बताए गए उसूलों पर मबनी शहर की एक ताबिंदा मिसाल है।
माहिर माहौलयात और माया नाज़ आर्केटेक्ट डाक्टर हाशिम मुर्तुज़ा ने अपनी तहक़ीक़ की बुनियाद पर लिखा है कि नबी आखिरुज़्ज़मां हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स०अ०व०) ने पहली हिज्री मुताबिक़ 623 -ए-में इस शहर मुक़द्दस की अपने दस्ते मुबारक से बुनियाद रखी। जो आज के इस तरक़्क़ी याफ़ता दौर में भी अपनी तर्ज़ मंसूबा बंदी और मुआशरा के एतबार से दुनिया का बेहतरीन शहर तस्लीम किया जाता है।
डाक्टर हाशिम मुर्तज़ा ने तफ़सीलात बयान करते हुए कहा कि रसूल अल्लाह (स०अ०व०) ने मदीना मुनव्वरा में बढ़ती हुई आबादी को मल्हूज़ रखते हुए शहर के बीचों बीच मर्कज़ी मुक़ाम पर मस्जिद ए नबवी (स०अ०व०) तामीर फ़रमाई। आप ने सिर्फ़ एक बस्ती ही नहीं बसाई बल्कि एक मूसिर-ओ-मुहज़्ज़ब मुस्लिम मुआशरा की बुनियाद डाली। आप (स०अ०व०) ने मस्जिद के अतराफ़ आवाम के लिये मकानात तामीर फ़रमाया।
इस्लामी मुआशरती उसूलों पर मबनी शहर में कारोबार हयात के लिये कारोबार , तालीम , सेहत और दीगर मक़ासिद के लिये अराज़ी का तीन किया और जायदादों की तक़सीम की गई । मुहाजरीन को घर दीए गए । दीगर पनाह गज़ीनों और मुक़ामी क़बाइल, अंसार, क़ुरैश बिरादरी को आराज़ीयात दीए गएं । इस तरह एक शहर बसाने के लिये सरकारे दो आलम (स०अ०व०) की शहरी मंसूबा बंदी (अर्बन प्लानिंग) आज के तरक़्क़ी याफ़ता दौर में भी सब से ज़्यादा असरी और तरक़्क़ी याफ़ता मालूम होती है।
जिस पर दुनिया के कई ममालिक में रिवायती इस्लामी शहरों की तामीर का लामतनाही सिलसिला जारी है।