मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जबर्दस्त प्रदर्शन करते हुए 114 सीटें जीत ली हैं। हालांकि इस प्रदर्शन के बावजूद वह बहुमत के 116 सीटों के आंकड़े से थोड़ी दूर रह गई। राहुल गांधी की पार्टी ने 15 साल बाद भारतीय जनता पार्टी को सूबे की सत्ता से बेदखल कर दिया है।
वहीं, लगातार 3 बार से 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान का एक बार फिर सत्ता के शीर्ष पर कायम रखने का सपना चकनाचूर हो गया है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस नेताओं की एकजुटता के साथ-साथ किसानों और युवाओं की नाराजगी, व्यापम घोटाला और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे भाजपा की तैयारियों पर भारी पड़ गए।
इन विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर रही। मतगणना के दौरान बाजी कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के हाथ लगती रही, लेकिन अंत में ‘पंजे’ ने ‘कमल’ को उखाड़ ही लिया।
आपको बता दें कि कई सीटों पर जीत हार का अंतर महज कुछ सौ वोट रहा। इन चुनावों में कांग्रेस ने 114 जबकि भाजपा ने 109 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, बहुजन समाज पार्टी ने 2, समाजवादी पार्टी ने 1 और निर्दलियों ने 4 सीटों पर कब्जा जमाया।
इस तरह देखा जाए तो कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए अब बाहरियों की मदद लेनी पड़ेगी। कांग्रेस ने भले ही इन चुनावों में भाजपा को मात दे दी हो, लेकिन वोट शेयर के मामले में भगवा दल ही आगे रहा।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा को 41 प्रतिशत यानी 1,56,42,980 लोगों का वोट मिला जबकि कांग्रेस को सूबे के 40.9 यानी 1,55,95,153 लोगों ने वोट दिया। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि नोटा को बी 5,42,295 वोट मिले जो कि कुल मत प्रतिशत का 1.4 प्रतिशत बैठता है।
साभार- इं ‘डिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम’