मरहूम ख़ालिद मुजाहिद-ओ-तारिक़ क़ासिमी दहशतगर्दी के इल्ज़ामात से अमला बरी

लखनऊ, 5 जून: ( पी टी आई ) हुकूमत उत्तर प्रदेश ने आज निमेश कमीशन की एक रिपोर्ट को कुबूल कर लिया है जिस ने दो मुस्लिम नौजवानों को जिन्हें 2007 में दहशतगर्दी के इल्ज़ामात से अमला बरी कर दिया है । बी जे पी और कांग्रेस ने इस फैसले पर तन्क़ीद की है और समाजवादी पार्टी पर मुसलमानों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करने का इल्ज़ाम आइद किया है ।

चीफ मिनिस्टर अखीलेश सिंह यादव ने काबीना के इजलास में इस सिफ़ारिश को कुबूल किए जाने के बाद अख़बारी नुमाइंदों से बात चीत करते हुए कहा कि निमेश कमीशन की रिपोर्ट को कार्रवाई रिपोर्ट के साथ उत्तर प्रदेश असेम्बली के मानसून सेशन में पेश किया जाएगा । सी पी आई लीडर अतुल कुमार अंजान ने इद्दिआ किया कि अपनी 237 सफ़हात पर मुश्तमिल रिपोर्ट में निमेश कमीशन ने ख़ुसूसी टास्क फ़ोर्स की जानिब से तारिक़ क़ासिमी और ख़ालिद मुजाहिद की गिरफ़्तारी के इद्दिआ को मुश्तबा क़रार दिया है ।

अंजान ने पी टी आई से बात चीत करते हुए कहा कि हक़ायक़ की बुनियाद पर ख़ुद साख़्ता मुल्ज़िमीन तारिक़ क़ासिमी और ख़ालिद मुजाहिद की काबिल ऐतराज़ मवाद ( सुबूत) के साथ 22 दिसंबर 2007 को गिरफ़्तारी मुश्तबा लगती है क्योंकि गवाहों के ब्यानात पर पूरी तरह यकीन नहीं किया जा सकता । उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में स्पेशल टास्क फ़ोर्स के काम काज पर सवालिया निशान लगाया गया है और उसकी ग़लत कार्यवाइयो को उजागर किया गया है ।

इस रिपोर्ट को कुबूल कर लेने पर रियासती हुकूमत को तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए बी जे पी तर्जुमान विजय बहादुर पाठक ने कहा कि हुकूमत हालात को मेरिट की असास पर नहीं देख रही है बल्कि सिर्फ़ वोट बैंक की सियासत पर नज़र रखते हुए काम कर रही है । आज का इक़दाम ख़ुशमंदाना पॉलीसी की एक और मिसाल है ।

उन्होंने कहा कि ये रिपोर्ट हुकूमत को गुज़शता साल अगस्त में पेश की गई थी लेकिन इस ने उस वक़्त कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि इस ने ये फैसला ख़ालिद मुजाहिद के ख़ानदान के दबाव में किया है । कांग्रेस ने इस रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश काबीना की जानिब से कुबूल किए जाने को सियासी ड्रामा क़रार दिया है ।

पार्टी तर्जुमान त्रिपाठी ने कहा कि अगर हुकूमत के इरादे साफ़ होते तो वो इस रिपोर्ट को मंज़रे आम पर लाने दस माह तक इंतेज़ार नहीं करती । उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के ज़रीया ये साबित हो चुका है कि दो नौजवानों को ग़लत तौर पर गिरफ़्तार किया गया था जबकि समाजवादी पार्टी हुकूमत ने बेक़सूर नौजवानों को रिहा करने का वाअदा करने के बावजूद कार्रवाई करने में दस माह का वक़्त लगा दिया है ।

उन्होंने एस पी और बी एस पी दोनों पर मुसलमानों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने का इल्ज़ाम आइद किया । स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने इद्दिआ किया था कि इस ने क़ासिमी और ख़ालिद मुजाहिद को 2007 दिसंबर में बाराबंकी से धमाको मादों (विस्फोटक सामग्री) के साथ गिरफ़्तार किया है ।

मुसलमानों की जानिब से एहतिजाज के बाद उस वक़्त की मायावती हुकूमत ने बेक़सूर नौजवानों की गिरफ़्तारी के इल्ज़ामात की तहकीकात के लिए निमेश कमीशन क़ायम किया था समाजवादी पार्टी ने 2012 के असेम्बली इंतेख़ाबात में अपने इंतेख़ाबी मंशूर में वाअदा किया था कि अगर उसे इक्तेदार सौंपा गया तो मुसलमानों के ख़िलाफ़ जितने भी झूटे मुक़द्दमात दर्ज किए गए हैं उन से दस्तबरदारी इख्तेयार कर ली जाएगी ।

अतुल अंजान ने इस रिपोर्ट की तफ़सीलात बताते हुए कहा कि क़ासिमी ने अपने हलफनामा में कहा था कि मुस्लिम नौजवानों की गिरफ़्तारी की साज़िश में उस वक़्त के डी जी पी विक्रम सिंह एडीशनल डी जी ला एंड आर्डर बृजलाल सीता पर के एस पी अमीताभ मुलव्वस हैं ताहम निमेश कमीशन ने किसी भी ओहदेदार की सरज़निश नहीं की है । क़ासिमी ने अपने हलफनामे में कहा था कि 12 दिसंबर 2007 को नवितादास अफ़राद ने आज़मगढ़ ज़िला से उनका अग़वा कर लिया था और उन्हें लखनऊ लाया गया ।

यहां उन पर थर्ड डिग्री इस्तेमाल की गई और कुछ ब्यानात कुबूल करने पर मजबूर किया गया और सादा काग़ज़ात पर दस्तख़त लिए गए । ख़ालिद मुजाहिद का 28 मई को फ़ैज़ाबाद अदालत से लखनऊ लाते हुए रास्ता में क़त्ल कर दिया गया था । उन्होंने भी अपने हलफनामे में इल्ज़ाम आइद किया था कि उन्हें 16 दिसंबर को जौनपूर से गिरफ़्तार किया गया था जब वो मार्केट से वापस आ रहे थे ।

उन्होंने कहा था कि उन से भी गैर इंसानी सुलूक किया गया था । बाद में स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने इद्दिआ किया था कि दोनों को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के करीब से गिरफ़्तार किया गया था । हालाँकि पुलिस का इद्दिआ है कि ख़ालिद मुजाहिद बीमारी की वजह से चल बसे हैं लेकिन उन के अफ़राद ख़ानदान का इल्ज़ाम है कि चूँकि ख़ालिद मुजाहिद की रिहाई से कई सीनीयर ओहदेदारों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता था इसलिए इनका क़त्ल कर दिया गया ।

ख़ालिद मुजाहिद के अफ़राद ख़ानदान ने 42 पुलिस ओहदेदारों के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा भी दर्ज करवाया है जिन में साबिक़ डी जी पी भी शामिल हैं। रियासती हुकूमत पहले ही ये मुआमला सी बी आई के सपुर्द कर चुकी है ।