नांदेड़। महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण के पक्ष में उठने वाली आवाज़ों में मुसलमानों के अलावा कई गैर मुस्लिम बुद्धिजीवी भी आगे दिख रहे हैं।
मराठी के प्रसिद्ध लेखक शरीपाल सबनस ने मुस्लिम आरक्षण को समय की मुख्य जरूरत बताया है और इस मामले में राज्य की भाजपा सरकार द्वारा अपनाई जा रही गैर गंभीरता को आलोचना का निशाना बनाया है।
मुस्लिम आरक्षण को लेकर राज्य की भाजपा सरकार ने अजीब व्यवहार अपना रखा है। मुसलमानों को आरक्षण देने से इनकार तो नहीं किया जा रहा है बल्कि आरक्षण देने के बारे में विचार करने की बात की जा रही है जबकि इस संबंध में व्यावहारिक कदम उठाने से भी परहेज किया जा रहा है। सरकार के इस रवैये से मुस्लिम समुदाय में आक्रोश दिन ब दिन बढ़ती जा रही है और इस नाराजगी के व्यक्त के लिए जिस तरह मराठा समाज ने विरोध आंदोलन शुरू किया है उसी तर्ज पर मुस्लिम आरक्षण के लिए भी विरोध का फैसला किया गया है।
पांच प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण को अदालत ने भी सही ठहराया था लेकिन राज्य की भाजपा सरकार ने मुसलमानों को आरक्षण देने से इनकार करते हुए मुस्लिम आरक्षण का कोई बिल विधानसभा में पेश नहीं किया है, जिसकी वजह से भाजपा में मुसलमानों के साथ पूर्वाग्रह बरतने का आरोप लगाया जा रहा है। इस मामले में मुसलमानों के अलावा कई गैर मुस्लिम बुद्धिजीवियों की ओर से सरकार पर आलोचना की जाने लगी हैं। मराठी के प्रसिद्ध लेखक शरीपाल सबनस ने नांदेड़ में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने के दौरान मुस्लिम आरक्षण को उनका वाजिब हक़ बताया।