पाकिस्तान मे 14 साल की लड़की मलाला युसुफ़ज़ई के सिर में लगी गोली को डाक्टर ने कामयाबी से बाहर निकाल दिया और अब उसकी हालत बेहतर है।
लड़कियों की तालीम के लिए मुहिम चलाने वाली मलाला युसुफ़ज़ई को उस समय गोली मारी गई थी जब वो स्कूल से घर वापस लौट रही थी। ये वाक़्या मंगल को स्वात वादी (घाटी) के शहर मिंगोरा में पेश आया। पाकिस्तान के तालिबान ने इस हमले की ज़िम्मेदारी कुबूल की है।
पाकिस्तानी तालिबान के तर्जुमान एहसान उल्लाह एहसान ने मीडिया को बताया कि मलाला पर हमला किया गया क्योंकि वो तालिबान के खिलाफ और सेक्यूलर (धर्म निरपेक्ष) थी।
पाकिस्तान के सदर (राष्ट्रपति) आसिफ अली जरदारी ने कहा है कि तालिबान के हमले में जख्मी इस लड़की को इलाज के लिए विदेश भेजा जाना चाहिए।
सदर आसिफ अली ज़रदारी ने कहा है कि इस हमले से इन दहशतगर्दों से लड़ने पाकिस्तान के अज़्म (Commitment /प्रतिबद्धता) पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
वहीं वज़ीर ए आज़म राजा परवेज़ अशरफ ने इस हमले की शख्त मुज़म्मत (निंदा) की। मलाला मेरी बेटी की तरह है, वो आपकी भी बेटी है। अगर इंसान का ऐसा ही ज़हन (मानसिकता) रहा तो मुल्क में किसकी बेटी महफूज़ रहेगी।
मलाला सुर्खियों में साल 2009 में आईं जब वह 11 साल की उम्र में तालिबान के साए में ज़िंदगी के बारे में बीबीसी उर्दू के लिए डायरी लिखना शुरु किया।
इसके लिए उन्हें साल 2011 में बच्चों के लिए बैनुल अकवामी अमन (अंतरराष्ट्रीय शांति ) एवार्ड के लिए नामज़द किया गया था। पाकिस्तान की स्वात वादी में तवील (लंबे समय) तक तालिबान दहशतगर्दों (चरमपंथियों) का दबदबा था लेकिन गुजस्ता साल फौज ने तालिबान को वहां से निकाल फेंका।