लोकसभा में एक बड़ा बहुमत हासिल करने के ढाई साल बाद अब भाजपा विभन्न वैधानिक आयोगों में अपनी पसंद के व्यक्तियों को महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त करने की योजना बना रही है। अभी तक इन पदों पर यूपीए सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति ही काबिज़ थे।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जनजातियों ने अपने अध्यक्षों को अलविदा कह दिया है जिनका कार्यकाल हाल ही में समाप्त हुआ है । पैनल के अध्यक्ष – पी एल पुनिया, वी इश्वरेयाह, रामेश्वर उरांव – पिछली संप्रग सरकार द्वारा नियुक्त किए गए थे। पुनिया राज्यसभा में कांग्रेस के एक सांसद है, उरांव एक पूर्व लोकसभा सदस्य है।
इन तीन पैनलों के अलावा, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद पर भी जल्द मार्च 2017 में बदलाव होगा।
इन लोगों के कार्यकाल के ख़त्म होने को भगवा दल के लिए राहत के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि इन अध्यक्षों की तरफ से सरकार को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। खास तौर पर दलित स्कॉलर रोहित वेमुला की आत्महत्या और उना में चार दलित युवकों को गौ रक्षकों द्वारा प्रताड़ित किये जाने की घटना पर आयोग ने सरकार को लगे हाथों लिया था।
राज्यसभा सांसद और पूर्व भारतीय प्रशासनिक अधिकारी पी एल पुनिया शुरुआत से ही वर्तमान सरकार के लिए एक बड़ी परेशानी का सबब रहे हैं। वह लगातार टीवी चैनल पर सरकार की आलोचना भी करते रहे हैं।
इनके कार्यकाल की समाप्ति सरकार के लिए एक बड़ी राहत है। अब उम्मीद की जा रही है कि भाजपा इन आयोगों के अध्यक्ष और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर अपने पसंद के व्यक्तियों को नामित करेगी।