महबूबनगर के इंतेख़ाबी नताइज पर मुस्लमानों में इज़तिराब

महबूबनगर में ज़िमनी इंतेख़ाबात के नताइज को लेकर इलाक़ा तेलंगाना के मुस्लिम हलक़ों में सख़्त इज़तिराबी कैफ़ीयत पाई जा रही है। तेलंगाना की लहर में ये गुमान ग़ालिब था कि मुस्लिम उम्मीदवार की वहां जीत यक़ीनी होगी। लेकिन ये मौक़ा भी मुस्लिम तबक़ा के लिए मायूसकुन लम्हा साबित हुआ। तेलंगाना मुस्लिम फ़ोर्म के कन्वीनर मुहम्मद ज़हूर ख़ालिद ने शिकस्त के अस्बाब में बताया कि तेलंगाना के हक़ में इंतेख़ाब में शरीक मुस्लिम उम्मीदवार प्रोफेसर कोडंडा राम की जांबदारी, टी आर एस पार्टी कैडर की इंतेख़ाबी मुहिम में अदमे मौजूदगी और ख़ुद मुस्लिम वोटर्स के बाअज़ हलक़ों की बे एतिनाई का शिकार रहे। हालाँकि इंतेख़ाबी मैदान में मुस्लिम उम्मीदवार की क़िस्मत आज़माई का इन्हेसार अव्वलन तो टी आर एस‍ ओ‍ तेलंगाना हामीयों के वोटों पर था। सानियन मुस्लिम हलक़ों से वोटस हासिल हुए थे। लेकिन इन दो हलक़ों से सिर्फ मुस्लिम राय दहिंदगान का ही इस मुआमला में फ़ित्री रुजहान देखा गया। बाअज़ गोशों से ये बातें भी आरही हैं कि टी आर एस सरबराह के चन्द्र शेखर राव भी उन की शिकस्त के बराबर के ज़िम्मेदार हैं।

लेकिन उन की संजीदगी और मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट देने के मुआमला में वज़ा कर्दा सयासी हिक्मत-ए-अमली के मुताल्लिक़ शक-ओ-शुबा का इज़हार करना क़ब्ल अज़ वक़्त होगा। इसके बावजूद भी कहीं ना कहीं टी आर एस पार्टी की कमज़ोरी को मान कर चलना पड़ेगा। मगर इस हक़ीक़त को तो मानना पड़े गाका दीगर सयासी पार्टीयों की बनिसबत सिर्फ़ टी आर एस ने ही मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है। वहीं मुस्लिम अक़ल्लीयतों का दम भरने वाली कांग्रेस ने मुहम्मद अली शब्बीर और मुस्लिम अक़ल्लीयतों की बही ख़ाह कहने वाली तेलगोदेशम पार्टी ने लाल जान पाशा जैसे सीनीयर क़ाइदीन को राज्य सभा की रुकनीयत के मुआमला में अमलन नज़र अंदाज कर दिया। बहर-ए-कैफ़ किसी भी पार्टी से अब ये तवक़्क़ुआत रखना कि वो मुस्लमानों को इत्मीनान बख़श नुमाइंदगी देगी दिल को बहलाने के लिए ये ख़्याल अच्छा है ग़ालिब के मिस्दाक़ अपनी उम्मीदें वाबस्ता करना है