महमुद ग़ज्नवी चोरों के साथ

हज़रत फ़ारूक़ आज़म (रज़ी.) की सुन्नत के मुताबिक़ आम जनता की देखभाल‌ के लिए रातों में गशत करना(फीरना) अक्सर मुसल्मान सलातीन का मामूल रहा है चुनांचे एक रात सुल्तान महमूद ग़ज्नवी सादा लिबास में अपनी रिआया(जनता) की निगरानी और ख़बरगिरी के लिए तन्हा गशत कर रहे थे कि अचानक चोरों के एक गिरोह से मूठ भेड‌ होगई जिस के बारे में मौलाना रुम अलैहि अलरहमा फ़रमाते हैं

तर्जुमा: तो उन्हों ने इस से पूछा ए साहिब वफ़ा ! तो कौन है? बादशाह ने कहा कि में भी तुम में से एक हूँ। सुल्तान के इस जवाब का ये मत्लब तो नहीं था कि में भी तुम्हारा हमपेशा चोर हूँ बल्कि जवाब का ये मफ़हूम भी हो सकता है कि में भी तुम सा इंसान हूँ। लेकिन चोरों ने सुलतान के जवाब का ये मत्लब लिया कि वो भी एक चोर है फिर कहने लगे

तर्जुमा: इन में से एक ने कहा ए फ़रेब पेशा जमात ! हाँ सब अपने अपने फ़न और दानाई को ब्यान करो

तर्जुमा: इन (चोरों) में से एक ने कहा ए (अपने अपने) फ़न की तारीफ़ करनेवाली जमात ! मेरी ख़ासीयत तो मेरे दोनों कानों में है कि मैं ये मालूम कर लेता हूँ कि कुत्ता अपनी आवाज़ में क्या कहता है। इन लोगों ने इस से कहा कि तुम अठन्नी में एक पैसे के बराबर हो। (यानी ये कहां की बड़ी हुनरमंदी है)
तर्जुमा: इन में से दूसरे ने कहा उज़्र के तालिब गिरोह ! मेरी सारी ख़ासीयत तो (मेरी) आँख में है कि मैं जिस शख़्स को क़ीर जैसी (काली) रात में (भी) देख लूं दिन के वक़्त उस को बिलाशुबा पहचान लेता हूँ

तर्जुमा: एक (तीसरे) ने कहा मेरी ख़ासीयत बाज़ू में है कि मैं हाथ के ज़ोर से संगीन दीवारों में भी नक़ब लगा सकता हूँ यानी घर में दाख़िल होने के लिए मज्बूत दीवार में भी अपने हाथ से सूराख़ कर देता हूँ।

तर्जुमा : एक (चौथे) ने कहा मेरी ख़ासीयत नाक में है। मेरा काम मिट्टी सूंघ कर मालूम कर लेना है

तर्जुमा: में (ज़मीन की) ख़ाक में (सूंघ कर) समझ जाता हूँ कि इस में किस क़दर नक़दी है और क्या मादन(छूपाहुआ खजाना) रखती है। यानी उस जगह ख़ज़ाना दफ़न है या नहीं।

तर्जुमा: एक (पांचवां) बोला मेरे पंजा में वो ख़ासीयत है कि (इस के ज़ोर से) मैं पहाड़ की सी बुलंदी तक कमंद फेंक देता हूँ।
यानी महल ख़ाह कितना ही बुलंद हो में अपने पंजा के ज़ोर से कमंद को इस महल के कंगरा(कमरों) में मज्बूती के साथ लगा देता हूँ जिस की मदद से मकान में बाआसानी दाख़िल होजाता हूँ।
आख़िर सब ने मिलकर बादशाह से दरयाफ़त किया कि तेरी ख़ासीयत क्या है तो इस ने जवाब दिया

तर्जुमा: इस (बादशाह) ने कहा कि मेरी ख़ासीयत मेरी दाढ़ी में है कि में इस (दाढ़ी) की हरकत से मुजरिमों को सज़ा से छुड़ा देता हूँ।

तर्जुमा:जब मुजरिमों को (क़त्ल के लिए) जल्लादों के सपुर्द किया जाता है तो जूं ही मेरी दाढ़ी हरकत में आती है तो वो छूट जाते हैं

तर्जुमा: उन लोगों ने इस (बादशाह) से कहा फिर हमारे क़ुतुब तुम ही हो कि तुम हमारी मशक़्क़त (ओ- मुसीबत) के दिन नजात (का ज़रीया) हो यानी अगर हम पकड़े जाएं तो तुम्हारी बरकत से छूट जाएंगे इस लिए हम सब को बेफ़िकरी होगई क्योंकि सज़ा के ख़तरा से बचाने का हुनर हम में से किसी के पास ना था। ये कसर तुम से पूरी होगई।

इस मश्वरा के बाद सब ने सुल्तान महमूद के क़सर(महल) का रुख किया। रास्ता में कुत्ता भौंकते ही एक हुनरमंद ने कहा कि कुत्ता कह रहा है कि तुम्हारे साथ बादशाह है लेकिन इस की तरफ़ चोरों ने कोई ध्यान ना दिया। दूसरे ने मिट्टी सूंघी और बता दिया कि शाही ख़ज़ाना यहां है। तीसरे ने कमंद फेंकी और शाही महल में दाख़िल होगया। चौथा शख़्स जो नक़ब‌ज़न था इस ने नक़ब लगादी और आपस में ख़ज़ाना तक्सीम कर लिया और जल्दी जल्दी चोरी किया हुआ माल को छुपा दिया। बादशाह ने हर एक का हुल्या पहचान लिया फिर उन से ख़ुद को मख़फ़ी रख कर अपने शाही महल की तरफ़ वापिस होगया। इस के बाद सुल्तान महमूद ने शब के वाक़िया की तफ़सील सुनाकर सिपाहीयों को हुक्म दिया कि इन सब चोरों को गिरफ़्तार करके उन्हें क़त्ल की सज़ा सुना दो। चुनांचे दूसरे दिन जब वो सब के सब मश्कें कसी हुई हालत में अदालत में हाज़िर होएं तो ख़ौफ़ से हर एक काँपने लगा। सुलतान महमूद ने पूरे शाही रोब के साथ हुक्म नाफ़िज़ किया कि इन सब को जल्लादों के हवाले करके सूली पर लट्का दो।
इसी वक़्त वो पांचवां चोर जो अंधेरी रात में देखे होए शख़्स को दिन में बाआसानी पहचान लेने की ख़ासीयत रखता था इस ने इजाज़त लेकर बा अदब अर्ज़ की

वक़्त के ए बादशाह ! जिन का चलना (दूसरों से ) मख़फ़ी है (अब) इस बात का वक़्त आगया है कि बराह-ए-करम (अपनी) दाढ़ी नेकी (के इरादा से) हिला दीजिए।
यानी हुज़ूर ! हम में से हर एक ने अपने मुजरिमाना हुनर की तकमील करदी अब हसब वाय‌दा आप अपना ख़ुसरवाना हुनर दिखाते हुए अपनी दाढ़ी हिला दीजिए और अपने करम से हम सब को सज़ा से नजात दिला दीजिए।
सुलतान महमूद मुस्कुराया और इस के दिल में दरया ए करम जोश मारने लगा तो बोला

तर्जुमा: सिर्फ इस ख़ुश हवास की निगाह‍ ए‍ सुल्तान शनास काम आई जिस ने रात में सुल्तान को पहचान लिया था।
यानी उस शख़्स की सुल्तान शनासी निगाह के तुफ़ैल में तुम सब को रिहा करता हूँ क्यों कि इस पहचानने वाली आँख से मुझे श्रम आती है कि मैं हसब वाय‌दा अपनी दाढ़ी का हुनर ज़ाहिर ना करूं

दरस बसीरत
१ शहनशाह दुनिया महमूद ग़ज्नवी तो रात भर चोरों के साथ रहा और उन की चोरी की सब हरकात अपनी आँखों से देखता था और उन की बातें अपने कानों से सुन रहा था। बीला तशबीह व तम्सील शहनशाह हक़ीक़ी यानी रब उल‌जलाल तो हर लम्हा हर जगह और हर हालत में हमारे हर नेक-ओ-बदफ़ेल व अमल से बाख़बर है जैसा कि इरशाद रब्बानी है : यानी और तुम जहां कहीं भी हो वो (हक़तआला) तुम्हारे साथ है। गोया वो तुम्हारी हर हरकत को देखता और तुम्हारी हर बात को सुनता है।

२ किसी बंदा की जानिब से नाफ़रमानी या गुनाह का इर्तिकाब दरअसल हुकूमत इलाही में चोरी है और जिस तरह सुल्तान महमूद ना सिर्फ रात भर चोरों की हरकात को देख रहा था बल्कि उन के पास ही था लेकिन इस के बावजूद उन्हें सज़ा नहीं दिया इसी तरह अल्लाह ताला भी बंदों के गुनाहों को देखने के बावजूद अपनी शान सत्तारी का मुज़ाहरा करते हुए बंदा की ग़लतीयों की पर्दापोशी करता और दुनिया में सज़ा भी नहीं देता ताकि बंदा इस मोहलत का फ़ायदा उठाकर तौबा के ज़रीया अपनी इस्लाह करले वर्ना कल क़ियामत में मश्कें कसी हुई हालत में रब ज़ूल जलाल के सामने हाज़िर होना पड़ेगा।

३ क़ियामत में कोई हुनर काम आने वाला नहीं सिवा ए एक हुनर के और वो है दुनिया के ज़ुल्मत कदा में अल्लाह को पहचानने वाली नज़र पैदा करना और ये मारीफत ए निगाही किसी आरिफ़ बिल्लाह की सोहबत‍ ओ‍ मइय्यत और इस की नज़र कीम्या असर की बदौलत ही नसीब हो सकती है जैसा कि इस ख़ुश हवास की सुल्तान शनास निगाह काम आई तो ख़ुद भी बच गया और इस की सिफ़ारिश से दूसरों को भी नजात मिली।

४ जिस तरह एक सुल्तान शनास की सिफ़ारिश पर माफ़ी मिली और सब की जानें बच गईं इसी तरह अहादीस शरीफा के बमूजब कल हशर में अरहम उल राहिमीन अपने चंद महबूब बंदों की सिफ़ारिश‍ ओ‍ शिफ़ाअत पर दोज़ख़ के मुस्तहिक़ बंदों को भी मग़फ़िरत
से नवाज़ेंगा ओर उन्हें जन्नत में दाख़िल होने का परवाना अता फ़रमाएगा। इन महबुबान ए ख़ुदा में सर-ए-फ़हरिस्त हुज़ूर शफ़ी उलमुज्नीबीन स.व. नीज़ दीगर अंबीया शुहदा उलमा ए हक़ औलिया अल्लाह हुफ़्फ़ाज़ क़ुरान वग़ैरा शामिल होंगे।