अपने अभिनय और कला के कारण करोड़ों लोगों के दिलों में जगह बनाने वाली बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री स्वरा भास्कर अपने बेबाक बयानों की वजह से अक्सर चर्चा में बनी रहती हैं। राजधानी दिल्ली में शनिवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान मौजूदा सरकार पर दिए एक बयान के बाद फिर से वह सुर्खियों में आ गई।
#WATCH: Actor Swara Bhaskar in an interaction with media in Delhi says, 'Is desh mein Mahatma Gandhi jaise mahaan insaan ki hatya hui, us waqt bhi kuch aise log the jo celebrate kar rahe the unki hatya ko, aaj wo satta mein hain, un sabko daal dena chahiye jail mein?' pic.twitter.com/06tSMpo0d1
— ANI (@ANI) September 1, 2018
स्वारा भास्कर ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। बता दें कि एक सवाल के जवाब में स्वरा भास्कर ने कहा कि इस देश में महात्मा गांधी जैसे महान इंसान की हत्या हुई है, उस वक्त भी कुछ लोग ऐसे ही लोग थे जो उनकी हत्या का जश्न मना रहे थे। उन्होंने कहा कि आज वही लोग देश की सत्ता में काबिज हैं।
Is desh mein Mahatma Gandhi jaise mahaan insaan ki hatya hui, us waqt bhi kuch aise log the jo celebrate kar rahe the unki hatya ko, aaj wo satta mein hain, un sabko daal dena chahiye jail mein?, nahin na. Obvioulsy nahi: Actor Swara Bhaskar in an interaction with media in Delhi pic.twitter.com/vZPaeIIWVl
— ANI (@ANI) September 1, 2018
क्या उन सबको जेल में डाल देना चाहिए? नहीं न! सचमुच नहीं! बता दें कि बीते दिनों कुछ बुद्धिजीवियों को जांच ऐजेसियों की रिपोर्ट के आधार पर महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद देशभर में इनकी गिरफ्तारी को लेकर सवाल खड़े हो गए।
आपको बता दें कि यह कोई पहला अवसर नहीं है जब स्वरा भास्कर अपने बयान के लिए सुर्खियों में रही हैं। इससे पहले जनवरी में ही फिल्म पद्मावत को लेकर एक ट्वीट की थी जिसके बाद सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल हुईं थी।

स्वरा ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि “फिल्म देखने के बाद मैं खुद को योनि मात्र महसूस कर रही हूं।” उन्होंने आगे लिखा कि “आपकी महान रचना के अंत में मुझे यही लगा। मुझे लगा कि मैं एक योनि हूं। मुझे लगा कि मैं योनि तक सीमित होकर रह गई हूं।
मुझे ऐसा लगा कि महिलाओं और महिला आंदोलनों को वर्षो बाद जो सभी छोटी उपलब्धियां, जैसे मतदान का अधिकार, संपत्ति का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, ‘समान काम समान वेतन’ का अधिकार, मातृत्व अवकाश, विशाखा आदेश का मामला, बच्चा गोद लेने का अधिकार मिले। सभी तर्कहीन थे। क्योंकि हम मूल प्रश्न पर लौट आए।”