नागपुर: शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा में राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र रफड़नवीस ने सदन में मुस्लिम आरक्षण देने के बारे में बयान देते हुए कहा कि यह मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है और अदालत के निर्णय के आधार पर ही आरक्षण संभव होगा। मुख्यमंत्री फडणवीस के बयान पर मिला जुला प्रतिक्रिया सामने आया। लेकिन मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण संभव नहीं है और मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं दिया जाएगा।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने चुनाव से पहले मुसलमानों और मराठाओं को आरक्षण देने की घोषणा की थी जो केवल चुनावी वादा था और उनकी नीयत ठीक नहीं थी. लेकिन मुसलमानों की सामाजिक, शैक्षिक और अर्थव्यवस्था के लिए मौजूदा सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं, मदरसों और उनके विद्यार्थियों के लिए कई परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि अगर अदालत ने मुसलमानों के आरक्षण के पक्ष में फैसला दिया तो उस फैसले को अदालत में चलैंज नहीं किया जाएगा।
इस संबंध में अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान ने कहा कि मुख्यमंत्री फडणवीस का बयान झूठ का पुलिंदा है और पिछली सरकार ने मुसलमानों और मराठाओं को आरक्षण कानूनी दायरे में रह कर दिया था, लेकिन वर्तमान सरकार की नीयत में खोट नजर आ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि मुसलमानों को उनका हक मिलना चाहिए और भविष्य में कानूनी तौर पर ऐसा हो जाएगा क्योंकि अदालत पहले मुसलमानों को शैक्षिक स्तर पर 5, प्रतिशत आरक्षण का आदेश दे चुकी है, लेकिन मौजूदा सरकार ने इस संबंध में नेक नीयती का सुबूत नहीं दिया है।