हैदराबाद। इंडोनेशिया के एक स्कूल ने माँ की महिमा पर एक अनूठी मिसाल पेश की है। स्कूल की ओर से वहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए माँ के पैरों को साफ़ करवाने के लिए विशेष दिवस का आयोजन रखा। यह आयोजन विशेष तौर पर बच्चों को याददिहानी के लिए था कि, माँ के पैरों तले जन्नत है। बच्चे इस बात को भली भांति जान लें कि माँ वो हस्ती है जिसने आपको दुनिया में लाने के लिए काफी दर्द सहन किये हैं और माँ की वजह से आप आज दुनिया में हैं।
इस्लाम में महिलाओं के बारे में कई नकारात्मक विचार हैं लेकिन हकीकत यह है कि माँ के लिए विशेष रूप से इस्लाम में बहुत अधिक सम्मान है। वहाँ पवित्र कुरान और हदीस में छंद है कि बार बार बड़ी कठिनाई यह है कि एक मां गर्भावस्था और प्रसव के दौरान किया जाता है प्रतिबद्धता शामिल है। माँ के संबंध में पाक कुरान एवं हदीसों में भी उल्लेख है कि एक माँ गर्भावस्था के दौरान 9 माह एवं प्रसव के दौरान बड़ी तकलीफ सहती है।
कुरआन में आया है कि ‘हमने इन्सान को अपने माँ-बाप के साथ अच्छा सलूक करने की ताकीद की। उसकी माँ ने उसे (पेट में) उठाये रखा और उसको तकलीफ दिया’। (46 :15 )। साथ ही पैगम्बर मुहम्मद (सल्ललाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने अनुयायियों को ताकीद की है कि वो अपनी माँ का सम्मान करें, ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं। अहमद और नसाई ने हदीस रिवायत की है कि पैगम्बर मुहम्मद (सल्ललाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया कि तुम्हारी जन्नत माँ के पैरों के नीचे है।
बुखारी और मुस्लिम ने एक हदीस रिवायत की है कि , एक आदमी पैगम्बर मुहम्मद (सल्ललाहु अलैहि व सल्लम) के पास आया और दरयाफ्त किया किया कि ऐ अल्लाह के रसूल मेरे द्वारा सबसे अधिक अच्छा व्यवहार और साथ रहने का अधिकार किस को है, इस पर पैगम्बर मुहम्मद (सल्ललाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया, तुम्हारी माँ। उस आदमी ने फिर पूछा फिर कौन है तो पैगम्बर मुहम्मद (सल्ललाहु अलैहि व सल्लम) ने दोहराया कि तुम्हारी माँ। उसने फिर पूछा इसके बाद कौन? तो पैगम्बर ने फिर फ़रमाया कि तुम्हारी माँ। फिर उस आदमी फिर पूछा, फिर कौन तो फिर पैगम्बर मुहम्मद (सल्ललाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया कि इसके बाद तुम्हारे पिता हैं।
कुरान की आयत एवं हदीसों से पता चलता है कि इस्लाम में माँ का कितना महत्व है। जब हम पैदा हुए थे तो कोई वजूद नहीं था, यह माँ की कड़ी मेहनत और प्रेम कि हम आज दुनिया में हैं। माँ अपने बच्चों से कभी कुछ नही चाहती, बस उन्हें खुले दिल से प्रेम करती है लेकिन आज की स्वार्थी दुनिया में माँ-बाप को बुढ़ापा आने पर उनको वह प्यार नहीं देते जिसके वो हैं। हज़रत अली ने फ़रमाया है कि माँ के लिए तीखे शब्दों का इस्तेमाल करो जिसने आपको बोलना सिखाया है लेकिन आज युवा अपने माँ-बाप के प्रति सम्मान को खो रहे हैं।
इसके अलावा भी कुरान और हदीस में माँ की महानता का कई जगह पर वर्णन आया है। स्कूल में विशेष दिन पर बच्चों को बताया गया कि याद रखें, माँ तो ममता की मूरत होती है। वह बिना स्वार्थ के आपको आखिरी सांस तक प्यार करती रहेगी, ऐसे में माँ हमारे प्यार की हकदार है।