बॉलीवुड में अपने अंदाज़ और फैशन के लिए मशहूर अदाकारा माधुरी दीक्षित ने खातून के किरदारों को मजबूत बनाने के लिए हिंदुस्तानी सिनेमा का शुक्रिया अदा करती हैं। एक इंटरव्यू में जब माधुरी से पूछा गया कि आप “डेढ इश्किया” के किरदार में सहज कैसे रहीं।
माधुरी ने कहा, किरदार में जितनी ज़्यादा गहराई होती है आपको मुज़ाहिरा करने में उतना ही मजा आता है। उन्होंने कहा कि हमारे सिनेमा ने लंबा सफर तय किया है और मुझे खुशी है कि ख्वातीन फिल्मों में किरदार निभा रही हैं। माधुरी ने 1980 के दहा के आखिर में अदाकारी की शुरूआत करके 90 के दहा में “तेजाब”, “दिल” और “साजन”, “दिल तो पागल है” जैसी धमाकेदार फिल्में दी।
माधुरी को “प्रहार” और “मृत्युदंड” जैसी गैर रिवायती फिल्मों के लिए भी जाना जाता है। 1999 में अमेरिका में डाक्टर श्रीराम नेने से शादी के बाद माधुरी डेनवर में रहने लगीं। उनकी आखिरी ब़डी कामयाब फिल्म “देवदास” थी। 2007 में “आ जा नचले” के साथ उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर अपनी वापसी की। वह डांस रियलिटी शो “झलक दिखला जा” के चौथे और पांचवें सेशन को होस्ट भी की है। फिर उन्हें “डेढ़ इश्किया” और “गुलाब गैंग” फिल्में मिल गईं। बीच में उन्होंने “ये जवानी है दीवानी” के “घाघरा” गाने में भी अपनी खास ज़हूर दर्ज कराई। “डेढ इश्किया” यकीनी तौर पर माधुरी की बडी छलांग है।