दोनों के मुक़द्दमात में यकसानियत, वाई ऐस आर पार्टी के क़ाइदीन वुकला से मुशावरत में मसरूफ़
उत्तरप्रदेश की साबिक़ चीफ़ मिनिस्टर मायावती को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ग़ैर मह्सूब असासा जात के मुआमला में दी गई राहत में वाई ऐस आर कोंग्रेस पार्टी के हलक़ों में भी उम्मीद की किरण पैदा करदी है । सुप्रीम कोर्ट ने ग़ैर मह्सूब असासा जात के मुआमला में मायावती के ख़िलाफ़ सी बी आई तहक़ीक़ात को मुस्तर्द करते हुए उस की तरफ से दाख़िल करदा एफ़ आई आर को कुलअदम करदिया और सी बी आई पर अपने हदूद से तजावुज़ का इल्ज़ाम आइद किया ।
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसला से ग़ैर मह्सूब असासा जात के दीगर मुआमलात पर असरअंदाज़ होने का इमकान है । वाई ऐस जगन मोहन रेड्डी के ख़िलाफ़ भी सी बी आई ग़ैर मह्सूब असासा जात के मुआमला में तहक़ीक़ात कररही है । सुप्रीम कोर्ट ने मायावती केस में कहा कि सी बी आई को सिर्फ तहक़ीक़ात की हिदायत दी गई थी लेकिन इस ने एफ़ आई आर दाख़िल करते हुए अपने हदूद से तजावुज़ किया है । वाई ऐस आर कोंग्रेस पार्टी क़ाइदीन सुप्रीम कोर्ट से इस फ़ैसला की रोशनी में जगन मोहन रेड्डी केलिए राहत के इमकानात तलाश कररहे हैं क्योंकि दोनों मुक़द्दमात में तक़रीबन यकसानियत पाई जाती है ।
बताया जाता है कि पार्टी के सीनीयर क़ाइदीन ने मायावती केस में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के तनाज़ुर में माहिरीन क़ानून से मुशावरत की । जिस में ये बात मंज़रे आम पर आई है कि जगन मोहन रेड्डी के मुआमले में भी सी बी आई ग़ैरमामूली दिलचस्पी का मुज़ाहरा कररही है । इस ने ना सिर्फ गिरफ्तारियां अमल में लाई बल्कि जगन के ख़िलाफ़ तीन चार्ज शीट दाख़िल किए । माहिरीन क़ानून की राय है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फेसले को बुनियाद बनाकर जगन के हक़ में भी राहत हासिल की जा सकती है ।
बताया जाता है कि वाई ऐस आर कोंग्रेस पार्टी के क़ाइदीन सुप्रीम कोर्ट के वुकला से मुशावरत में मसरूफ़ हैं ता कि इंसाफ़ केलिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया जाय । वाज़िह रहे कि 2003 मे सी बी आई ने मायावती के ख़िलाफ़ ग़ैर मह्सूब असासा जात का मुक़द्दमा दर्ज किया था लेकिन कल सुप्रीम कोर्ट ने इस मुक़द्दमा को ख़ारिज करते हुए साबिक़ चीफ़ मिनिस्टर उत्तरप्रदेश को बड़ी राहत पहुंचाई है ।