मुंबई: एक सनसनीखेज दावा करते हुए निलंबित महाराष्ट्र एटीएस अधिकारी ने शोलापोर की अदालत को बताया कि 2008 के मालेगांव बम धमाकों के मामले में 2 आरोपिया ” जीवित ” नहीं है। उन्हें गलत रूप में उच्च पुलिस अधिकारियों ने ” जीवित ” बताया था। मुख्यमंत्री महाराष्ट्र देवेंद्र फडणवीस ने आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के पूर्व इंस्पेक्टर महमूद मुजाविर के आरोपों को बहुत ही ” गंभीर ” करार दिया और कहा कि सरकार इस मामले की जांच करेगी।
शोलापोर में एक मजिस्ट्रेट अदालत के सामने अगस्त में याचिका दाखिल की गई थी जिसमें दावा किया गया था कि संदीप डेंगू और रामचंद्र कालसंग्रा जो मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी हैं अब जीवित नहीं रहे। इस आवेदन की जानकारी कल ही सामने आई हैं। गौरतलब है कि महमूद मुजाविर को शोलापुर की अदालत में उनके खिलाफ दर्ज किए गए आपराधिक आवेदन और आर्म्स एक्ट के तहत एक मामला पंजीकृत होने के बाद निलंबित कर दिया गया था।
मुजाविर ने आरोप लगाया कि संदीप डेंगू और रामजी काल कालसंग्रा दरअसल अब जीवित नहीं रहे बल्कि उन्हें मालेगांव बम विस्फोट मामले में उच्च बार होते पुलिस अधिकारियों ने जीवित बताया है। मुजाविर से यह आवेदन इस साल 9 अगस्त दाखिल की गई थी जिसमें अदालत से अनुरोध किया गया था|
वह इस मामले की जल्द से जल्द यकसूई कर उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज है। मुजाविर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि एक साजिश के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और यह एक दबाव डालने का रणनीति है। वे चाहते हैं कि इस मामले के संबंध में सच्चाई को उजागर करें और यह बताएं कि संदीप डेंगू और कालसंग्रा की मौत हो चुकी है। जब कालसंग्रा के दावे के बारे में पूछा गया तो एटीएस के पूर्व प्रमुख के पी राघोनशिय ने इस दावे को बकवास करार दिया और कहा कि मैं यह भी नहीं जानता कि आखिर यह कालसंग्रा कौन है क्या वह इस मामले की जांच टीम का हिस्सा थे।
कम से कम एटीएस मेरे दौर में ऐसा कुछ नहीं हुआ है। पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी जिसने एटीएस में काम किया है मुजाविर के दावे पर सवाल उठाया और कहा कि आखिर 8 साल बाद अब यह आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं। आखिर इस अधिकारी को इतने महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रकट करने से किसने रोका था। हम उनके दावों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।