रमजान के इस पाक महीने में बिहार की जेलों में भी इन दिनों पांचों वक्त अजान गूंज रही है। बिहार की जेलों में ज़्यादतर मुस्लिम कैदियों ने रोजे रखे हैं। जेल इंतेज़ामिया इस बात का पूरा ख्याल रख रहा है कि रमजान के दौरान उन्हें कोई मुशिकल / त्कलीफ न हो। मुजफ्फररपुर के सेंट्रल जेल में 45 कैदियों ने रोजे रखे हैं।
सेंट्रल जेल के एक आफीसर ने बताया कि रोजदारों को सुबह जेल में दाल, रोटी, चावल और सब्जी दी जा रही है। जेल के पास वाली मस्जिद में जैसे ही सहरी का ऐलान होती है, वैसे ही रोजेदार कैदी सहरी के लिए तैयार हो जाते हैं और फजर की नमाज अदा करते हैं। वैसे तो रोजदारों के इफ्तार के लिए उनके घरों से भी खाने के सामान आ रहे है, लेकिन जेल इंतेज़ामिया की तरफ से खास तौर पर खजूर मुहैया कराया जा रहा है।
जेल में रोजे रखे एक कैदी ने कहा कि , “”यह इबादत का महीना है। माह-ए रमजान में जन्नत के दरवाजे खुले होते हैं।”” जेल के एक दूसरे आफीसर की मानें तो हिन्दू कैदी भी रोजेदारों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सेंट्रल जेल में 45 कैदी तीन दिन के रोजे पूरे कर चुके हैं। वहीं, पटना की बेउर जेल में भी मुस्लिम कैदी रोजे रख रहे हैं। यहां इफ्तार के लिए बंदियों के घर से ही खाने-पीने की चीजें आ रही हैं। इसके इलावा बक्सर ओपन जेल में भी कैदी अल्लाह की इबादत के लिए रोजे रख रहे हैं।