मिस्र: अल जज़ीरा के तीन सहाफ़ीयों के लिए तीन बरस क़ैद की सज़ा

मिस्र की एक अदालत ने अरब नशरियाती इदारे अल जज़ीरा के तीन सहाफ़ीयों को तीन तीन साल की सज़ाए क़ैद सुना दी है। ये मुक़द्दमा एक तवील अर्से से जारी था जबकि दुनिया भर में इन्सानी हुक़ूक़ के कारकुन उसे तन्क़ीद का निशाना बनाते रहे हैं।

कनेडियन शहरी मुहम्मद फ़हमी, ऑस्ट्रेलियन सहाफ़ी पीटर ग्रस्टे और मिस्री प्रोडयूसर बहार मुहम्मद के ख़िलाफ़ इस मुक़द्दमे को आलमी सतह पर तवज्जा हासिल थी। आज़ादी राय और इन्सानी हुक़ूक़ की तन्ज़ीमों की तरफ़ से क़ाहिरा हुकूमत पर ज़ोर दिया जा रहा था कि वो इन सहाफ़ीयों को बरी कर दे।

ताहम हफ़्ते को मिस्री अदालत ने क़ौमी सलामती के ख़िलाफ़ और झूटी सहाफ़त के इल्ज़ामात के तहत इन सहाफ़ीयों को सज़ा सुना दी। ऑस्ट्रेलवी सहाफ़ी ग्रस्टे को रवां बरस के अवाइल में अपने वतन वापिस भेज दिया गया था ताहम बहार मुहम्मद और मुहम्मद फ़हमी क़ैद में हैं। अल जज़ीरा टेलीविज़न चैनल ने इस अदालती फ़ैसले को आज़ादी सहाफ़त पर एक दानिस्ता हमला क़रार दिया है।