क़ाहिरा, 08 दिसंबर:(एजेंसी)मिस्र की जदीद तारीख़ की तारीख़ साज़ मुहिम ने आज क़सर सदारत की हिफ़ाज़त पर मामूर रिपब्लिकन गार्ड्स लाखों एहितजाजियों को क़सर सदारत तक पहुंचने से रोकने में नाकाम हो गए। एहितजाजी शाम होने के क़रीब क़सर सदारत तक पहुंच गए और कसीर तादाद में अवाम का हुजूम क़सर के रूबरू शाहराह पर जमा हो गया, जिसकी तादाद में मुसलसल इज़ाफ़ा हो रहा है।
एहतिजाजी पुरमुसर्रत नारे लगाते हुए तेज़ रफ़्तार से इस इलाक़ा में दाख़िल हो रहे हैं। बाअज़ अफ़राद ने क़सर सदारत से अवाम को दूर रखने के लिए तामीर की हुई कंक्रीट की बाड़ फलांग ( फांग) कर अहाता में दाख़िल हो गए। क़सर के रूबरू तैनात रिपब्लिकन गार्ड्स किसी भी मुज़ाहमत से क़ासिर रहे, क्योंकि लाखों मिस्री अवाम के हुजूम के सामने वो बेबस हो गए थे।
अवाम सदर मुहम्मद मर्सी के इक़्तेदार ( शासन) से दस्तबर्दारी का मुतालिबा करते हुए नारेबाज़ी में मसरूफ़ थी। क़ाहिरा और पूरे मिस्र में सदर के ख़िलाफ़ गुज़श्ता दो हफ़्ता से मुसलसल एहतिजाज जारी है। चहारशंबा के दिन इख़वान अलमुस्लिमीन के हामीयों ने पुरअमन एहतिजाजी मुज़ाहिरीन पर जो एक रात पहले से क़सर सदारत के रूबरू धरना दे रहे थे, हमला किया था।
तशद्दुद में कम अज़ कम सात अफ़राद हलाक और दीगर एक हज़ार ज़ख़्मी हो गए थे। इंसानी हुक़ूक़ कारकुनों और तैयार करदा वीडीयो फिल्म में इख़वान अलमुस्लिमीन के कारकुनों को मोर्सी मुख़ालिफ़ एहितजाजियों पर चाकू, तेज़ धार हथियारों के साथ बेरहमी से हमला करते हुए दिखाया गया है।
इसके इलावा वो लोग एहतिजाजियों पर लाठियों से हमला कर रहे थे, फायरिंग कर रहे थे और रबर की गोलीयां बरसा रहे थे। इख़वान अलमुस्लिमीन और मुहम्मद मोर्सी इस मौक़िफ़ पर अटल हैं कि ये कारस्तानी तीसरे फ़रीक़ की है। इंसानी हुक़ूक़ कारकुनों का कहना है कि ये दावे इक़्तेदार से माज़ूल करदा साबिक़ सदर होसनी मुबारक के दावों के मुमासिल हैं, जो उन्होंने जनवरी 2011 की बग़ावत के दौरान किए थे।
आज दोपहर मुमताज़ शहरी मुहम्मद अलबरदई ने मिस्रियों पर ज़ोर दिया था कि वो क़ौमी मुज़ाकरात की मोर्सी की अपील मुस्तर्द कर दें और कहा था कि हक़ीक़ी मुज़ाकरात की मुबादियात का इस अपील में फ़ुक़दान ( कमी) है। उन्होंने कहा था कि हम मुज़ाकरात की ताईद में हैं, लेकिन ये मुज़ाकरात धमकीयां देने और अपनी मर्ज़ी मुसल्लत करने के लिए नहीं होने चाहीए।
दरीं असना एहतिजाजी मुज़ाहिरीन ने आज क़ाहिरा में क़सर सदारत के रूबरू खड़ी की हुई तमाम रुकावटें तोड़ दीं। बाअज़ एहतिजाजी फ़ौजी दबाबों ( तोप) पर भी चढ़ गए और वहां अपने पर्चम लहराए। तक़रीबन दस हज़ार एहतिजाजी रुकावटें तोड़कर अंदर दाख़िल हो गए।
हालाँकि इन रुकावटों की हिफ़ाज़त के लिए फ़ौजी दबाबे ( तोप) कल से ही तैनात कर दिए गए थे। जब कि सदर मर्सी के हामीयों और उन के मुख़ालिफ़ीन के दरमयान खूँरेज़ झड़पें हुई थीं। एहितजाजी मुज़ाहिरीन ने ख़ारदार तार उखाड़ फेंके और सैकड़ों एहतिजाजी क़सर सदारत की दीवारों पर चढ़ गए।
बाअज़ एहतिजाजी उनको घेरे हुए पुलिस और फ़ौज के गार्ड्स के बोसे भी ले रहे थे और उन्हें पुरअमन रहने की तलक़ीन कर रहे थे। रिपब्लिकन गार्ड्स के सिपाहीयों ने इब्तिदा में एहतिजाजियों को मुंतशिर होने की हिदायत दी थी, लेकिन वो क़सर सदारत के सबसे बड़े बाब अलद अखिला ( दरवाज़े) की तरफ़ मुसलसल पेशरफ्त करते रहे, जिसकी बिना पर रिपब्लिकन गार्ड्स पसपा होने ( हारने) पर मजबूर हो गए।