क़ाहिरा ०४ दिसम्बर: ( ए एफ़ पी । पी टी आई ) मिस्र में माबाद इन्क़िलाब मुनाक़िद हुए अव्वलीन इंतिख़ाबात में इस्लाम पसंद जमातों और खासतौर पर इख़वान अलमुस्लिमीन को को शानदार कामयाबी हासिल हो रही है जबकि सैकूलर समझी जाने वाली जमातों को अक्सर मुक़ामात पर हज़ीमत का सामना करना पड़ा है ।
जो इबतिदाई इशारे मिले हैं और जो नताइज अब तक सामने आए हैं उन के मुताबिक़ इख़वान अलमुस्लिमीन की क़ियादत में दूसरी इस्लाम पसंद जमातों को तक़रीबन दो तिहाई अक्सरीयत मिल सकती है । पोर्ट सईद मैं इख़वान अलमुस्लिमीन की क़ियादत वाले इस्लामी इत्तिहाद को 32.5 फ़ीसद वोट हासिल हुए हैं जबकि कट्टर पसंद उल-नूर पार्टी ने 20.7 फ़ीसद वोट हासिल किए हैं। सरकारी अख़बार अलाहराम ने ये बात बताई ।
आज़ाद ख़्याल वफ़द पार्टी को 14 फ़ीसद और दूसरी इस्लाम पसंद जमात अलवा सत को 12.9 फ़ीसद वोट हासिल हुए हैं। अलवा सत का मुतालिबा है कि मुल्क में सख़्त तरीन इस्लामी क़वानीन नाफ़िज़ किए जाएं। बहर-ए-अहमर के इलाक़ा में इख़वान अलमुस्लिमीन को 30 फ़ीसद वोट हासिल हुए हैं जहां सैकूलर मिस्री बलॉक को 15 फ़ीसद वोट हासिल हुए हैं।
मिस्र में इबतिदाई मराहिल की राय दही के क़तई नताइज चहारशंबा को सरकारी तौर पर सामने अन्य चाहीए थे ताहम इन में काफ़ी ताख़ीर हुई है । इलेक्शन कमीशन ने जुमा के दिन शाम में एक प्रैस कान्फ़्रैंस में ऐलान किया था कि नताइज को कमीशन की वैब साईट पर पेश किया जाएगा। कहा गया है कि इख़वान अलमुस्लिमीन चूँकि एक मुनज़्ज़म तंज़ीम रही है और एक तवील अर्सा से वो हसनी मुबारक की मुख़ालिफ़त करती रही वो बड़े पैमाने पर इमदादी-ओ-समाजी काम करती रही है इस लिए उसे मिस्री अवाम में मक़बूलियत हासिल है । इख़वान अलमुस्लिमीन की मक़बूलियत का अंदाज़ा इस बात से किया जा सकता है कि इस के उम्मीदवारों ने कई मुक़ामात पर आज़ाद ख़्याल-ओ-सैकूलर उम्मीदवारों को शिकस्त से दो-चार कर दिया है ।
इस तहरीक के भी अहम क़ाइदीन को शिकस्त होगई है जिन्हों ने हसनी मुबारक के ख़िलाफ़ मुहिम में अहम रोल अदा किया था । एक और अख़बार अलमसरी उल-यौम के मुताबिक़ पहले मरहला के इंतिख़ाबात में कोई ख़ातून कामयाब नहीं हो सकी है। टी वी शख़्सियत जमीला असमईल अदाकारा तीसीर फ़हमी और वफ़द पार्टी की उम्मीदवार निहाल अहदी को शिकस्त का सामना करना पड़ा है । निहाल अहदी का कहना है कि ख़वातीन को इस लिए शिकस्त हुई क्योंकि इस्लाम पसंद जमातें मिस्री अवाम में ज़्यादा मक़बूलियत रखती हैं और इख़वान अलमुस्लिमीन और सलफ़ियों को नताइज में बरतरी हासिल हुई है ।
इबतिदाई नताइज के सामने आने के बाद इख़वान अलमुस्लिमीन की जानिब से एक ब्यान जारी करते हुए मिस्री अवाम से उन पर एतिमाद-ओ-भरोसा का इज़हार करने पर इज़हार-ए-तशक्कुर किया है । ब्यान में कहा गया है कि पहले एक ब्यान में वोट डालने पर इज़हार-ए-तशक्कुर किया गया था और अब फ़्रीडम ऐंड जस्टिस पार्टी ( इख़वान अलमुस्लिमीन की सयासी विंग ) के हक़ में वोट का इस्तिमाल करने पर पार्टी अवाम से इज़हार-ए-तशक्कुर करती है । कहा गया है कि इख़वान अलमुस्लिमीन को इबतिदाई मरहला में 40 फ़ीसद वोट हासिल हुए हैं।
कहा गया है कि पहले मरहला में जिन 168 नशिस्तों केलिए वोट डाले गए थे इन में 120 नशिस्तें इस्लाम पसंद जमातों के क़बज़े में आयेंगी । इस दौरान ये इशारे मिलने शुरू होगए हैं कि मिस्र में अक्सरीयत हासिल करनेवाली इस्लाम पसंद जमातें चाहती हैं कि मिस्र में इस्लामी क़वानीन को एहमीयत दी जाय और उन्हें मिस्र के नए दस्तूर का हिस्सा बनाया जाय । सलफ़ी नूर पार्टी के तर्जुमान यवसीरी हम्माद ने कहा कि इस्लामी-ओ-शरई क़वानीन कुमलक के नए दस्तूर का हिस्सा बनाया जाना चाहीए । इस पार्टी को कुफ्र उल-शेख़ सूबा में जो दरयाए नील का डेल्टाई इलाक़ा है अच्छी कामयाबी मिली है ।
यहां ग़ुर्बत जहालत और दीगर मसाइल शदीद हैं। मिस्टर हम्माद ने कहा कि इन की पार्टी को क़ाहिरा के इलाक़ा में मुश्किलात का सामना करना पड़ा है क्योंकि वहां सलफ़ियों के हामी बहुत कम तादाद में हैं। उन्हों ने कहा कि इन की पार्टी क़ौमी मुफ़ाद को ज़हन में रखते हुए मुस्तक़बिल की हिक्मत-ए-अमली को क़तईयत देगी । एक और रिपोर्ट में कहा गया है कि इख़वान अलमुस्लिमीन और सलफ़ी नूर पार्टी को जुमला 70 फ़ीसद तक वोट हासिल हो सकते हैं और ये जमातें मुल्क में हुकूमत क़ायम कर सकती हैं।
फ़्रीडम ऐंड जस्टिस पार्टी के तर्जुमान अहमद सूबिया ने कहा कि इन की पार्टी ने 40 फ़ीसद वोट हासिल किए हैं और उन की ताईद वाले दो उम्मीदवारों को भी कामयाबी मिली है । ये वाज़िह होगया है कि मिस्र के इंतिख़ाबात के आइन्दा मराहिल में इस्लामी जमातों को ही एहमीयत हासिल रहेगी । मिस्र के इंतिख़ाबात के पहले मरहला मैं 8.4 मुलैय्यन अहल-ए-राय दहिंदों में 62 फ़ीसद ने अपने वोट का इस्तिमाल किया था । मिस्री इलेक्शन कमीशन के सदर नशीन मिस्टर अबदालमईज़ इबराहीम ने एक प्रैस कान्फ़्रैंस में बताया कि फ़िरऔन के दौर से हुए इंतिख़ाबात में सब से ज़्यादा तादाद में इस मर्तबा राय दहिंदों ने अपने हक़ का इस्तिमाल किया है ।