महिकमा सयाहत की चशमपोशी बाइसे तशवीश, बोटिंग यूनिट ग़ैर समाजी सरगर्मीयों की जगह में तबदील नुमाइंदा ख़ुसूसी
हैदराबाद शहर में अवाम को तफ़रीह फ़राहम करने के मक़सद से महिकमा सयाहत की जानिब से मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर क़ायम किए गए सयाहती मराकज़ इन दिनों अदम तवज्जही और निगरानी ना रखे जाने से ग़ैर समाजी सरगर्मीयों की आम जगह बन गए हैं। इस का एक सबूत हस्न नगर में मीर आलिम तालाब के किनारे अवाम को कशतीरानी की सहूलत फ़राहम करने के मक़सद से क़ायम किया गया बोटिंग यूनिट है जो अब बंद होचुका है और ग़ैर समाजी अनासिर की सरगर्मीयों का मर्कज़ बना हुआ है। तफ़सीलात के मुताबिक़ नए शहर में अवाम को कशतीरानी की सहूलत फ़राहम करने के मक़सद से क़ायम किए गए बोटिंग यूनिट की तरह पुराने शहर के हस्न नगर इलाक़ा में मीर आलिम तालाब के किनारे एक यूनिट 27 सितंबर 2002 -ए-को क़ायम किया गया ताकि क़दीम शहर के अवाम को भी सैर-ओ-तफ़रीह की सहूलत फ़राहम होसकी। एक बरस तक पुराने शहर के अवाम ने इस से इस्तिफ़ादा भी किया। बच्ची, बूढ़ी, नौजवान और ख़वातीन 20 रुपय का टिकट लेकर कशतीरानी से लुतफ़ अंदोज़ हुआ करते थी। ठीक एक बरस बाद ये प्वाईंट बंद होगया जिस की वजूहात का आज तक इलम ना होसका। आज इस प्वाईंट को बंद हुए तक़रीबन 8 बरस का अर्सा गुज़र चुका है। अवाम के कशतीरानी की सहूलत से महरूम होजाने से ज़्यादा अफ़सोसनाक बात ये है कि ये बोटिंग प्वाईंट ग़ैर समाजी सरगर्मीयों के लिए इस्तिमाल होरहा है। जोह और शराबनोशी के इलावा ख़वातीन को लाकर बदफ़ेली किए जाने जैसे काम होरहे हैं। दूसरी तरफ़ मीर आलिम तालाब जो निहायत ख़ूबसूरत है सफ़ाई और तवज्जा ना दिए जाने की वजह से ये सिर्फ़ आलूदा होगया है बल्कि इस में पानी की बेलें इस क़दर उग आई हैं कि पानी नज़र ही नहीं आता। कोई ऐसा नहीं जो इस तालाब के क़रीब से गुज़रते वक़्त पानी की सतह पर बिछी हुई बैलों को देख कर अफ़सोस ना करता हो लेकिन महिकमा सयाहत के ओहदेदारों ने तालाब की सफ़ाई के इक़दामात करवाने की ज़हमत गवारा नहीं की।हद तो ये होगई कि मीर आलिम तालाब से मुत्तसिल नैशनल हाई वे 7 से किशन बाग़ बराह अतापोर एक नई सड़क तामीर की गई जो मुकम्मल होने के बावजूद आज तक इफ़्तिताह की मुंतज़िर है। सड़क को तामीर हुए कई बरस होचुके हैं लेकिन उसे आज तक बंद रखा गया है और सड़क की दोनों जानिब गेट लगाकर सैक्योरिटी गार्ड को बिठा दिया गया है। इस रोड को मिनी नीकलस रोड भी कहा जाता है। अगर ये सड़क खोल दी जाय तो अवाम को काफ़ी सहूलत होसकती है। ज़रूरत इस बात की है कि रियास्ती वज़ीर सयाहत गीता रेड्डी इस इलाक़ा का दौरा करे और सड़क के इफ़्तिताह के इक़दामात करी। इस के इलावा मीर आलिम तालाब के पानी पर फैली बैल की कटाई और बोटिंग प्वाईंट के दुबारा आग़ाज़ की राह भी हमवार की जाय ताकि पुराने शहर के अवाम को कशतीरानी से लुतफ़ अंदोज़ होने का दुबारा मौक़ा फ़राहम होसके।